तीन दशक से जीत के इंतजार में कांग्रेस

सागर संसदीय क्षेत्र

अवनीश जैन
सागर. बुंदेलखंड के सागर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस तीन दशक से जीत के इंतजार में है। कांग्रेस के आनंद अहिरवार को 1991 में सागर संसदीय क्षेत्र से जीत मिली थी। उसके बाद से तो कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है । सागर संसदीय क्षेत्र लगभग चालीस वर्ष तक अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रहा है । 2008 में हुए परिसीमन के बाद सागर संसदीय क्षेत्र सामान्य वर्ग के लिए हो गया। परिसीमन के बाद 2009 में सागर संसदीय क्षेत्र से भूपेंद्र सिंह, 2014 में लक्ष्मी नारायण यादव, 2019 में राजबहादुर सिंह भारतीय जनता पार्टी से संसद सदस्य निर्वाचित घोषित हुए।

परिसीमन के पहले भाजपा के डॉक्टर वीरेंद्र कुमार सागर से लगातार चार बार संसद सदस्य निर्वाचित हुए। वैसे तो सागर संसदीय क्षेत्र लम्बे समय तक कांग्रेस का गढ रहा है। पहले आम चुनाव से नौ चुनाव तक कांग्रेस लगभग जीतती रही है। उसके बाद से कांग्रेस को हार ही हाथ लगी। अब तक हुए 17 चुनाव में से दस चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने जीते हैं तो छह चुनाव में कांग्रेस जीत हासिल कर सकी है। एक बार बीएलडी से नर्मदा प्रसाद अहिरवार की जीत हुई। 1967 मे जनसंघ से निर्वाचित रामसिंह अहिरवार 1982 के उपचुनाव में दूसरी बार भाजपा से चुनाव जीते। 1989 में शंकर लाल खटीक भाजपा से सांसद चुने गए।

परिसीमन के बाद दायरा बढ़ा
परिसीमन के बाद सागर संसदीय क्षेत्र के दायरा सागर जिले के साथ साथ विदिशा जिले तक बढ गया है। सागर जिले की सागर, नरयावली, बीना, खुरई, सुरखी के अलावा विदिशा जिले की सिरोंज, शमशाबाद, कुरवाई विधानसभा सागर संसदीय क्षेत्र में शामिल हो गई है।

1996 के चुनाव में 34 प्रत्याशी थे चुनाव मैदान में
1996 के लोकसभा चुनाव में सागर संसदीय क्षेत्र से सर्वाधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में रहे है। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, तिवारी कांग्रेस के अलावा 30 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे धे। जिनमे पूर्व सांसद की पत्नी, पूर्व विधायक भी शामिल रहे।

कांग्रेस से ससुर बहू, भाजपा से पिता पुत्र चुनाव लड़े
सागर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने 1984 मे नंदलाल चौधरी को उम्मीदवार बनाया था और वह निर्वाचित घोषित हुए। 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व सांसद चौधरी की बहू माधवी चौधरी को उम्मीदवार बनाया। जिनको हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे ही 1971 मे जनसंघ से अमर सिंह चुनाव लड़े थे। जिनको हार का सामना करना पडा था। बाद में 1996 मे भारतीय जनता पार्टी ने उनके पुत्र वीरेन्द्र कुमार को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा और वह सागर से लगातार चार बार सांसद निर्वाचित हुए। 2008 में परिसीमन के बाद वीरेन्द्र कुमार को भाजपा ने टीकमगढ संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उम्मीदवार बनाया। जहां से भी कुमार निर्वाचित हुए और चौथी बार चुनाव मैदान में है।

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