सियासत
मध्य प्रदेश में भाजपा का संगठन अपने कार्यकर्ताओं को मजबूती देने के लिए उनकी भागीदारी सत्ता में सुनिश्चित करने की कार्य योजना बना रहा है। सूत्रों के अनुसार 30,000 से भी अधिक कार्यकर्ताओं को जिला योजना समितियों, दीनदयाल अंत्योदय समितियों, कॉलेज की जन भागीदारी समितियों और सहकारिता में समायोजित किया जाएगा। इसके अलावा संगठन चुनाव में मंडल से लेकर प्रदेश तक नए और युवा कार्यकर्ताओं को भाजपा में पदाधिकारी बनने का मौका मिलेगा। इन दिनों भाजपा का संगठन पूरी तरह से एक्टिव मोड में है। 3 सितंबर को राज्यसभा के चुनाव हैं।
मध्य प्रदेश में भी एक सीट के लिए उपचुनाव होना है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का सत्ता और संगठन पर बराबरी से फोकस है। वो भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों को भी उतना ही महत्व दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि निगम मंडलों और विकास प्राधिकरणों में भी जल्दी नियुक्तियां होंगी। मंत्री और विधायकों से भी साफ तौर पर कहा गया है कि वह कार्यकर्ताओं और संगठन को महत्व दें। संगठन का मानना है कि कार्यकर्ता मजबूत होगा तो प्रदेश में पार्टी भी मजबूत होगी। मुख्यमंत्री कार्यकर्ताओं की सत्ता में भागीदारी इसलिए भी सुनिश्चित करना चाहते हैं जिससे नया नेतृत्व आगे आए तथा पार्टी का फीडबैक सिस्टम मजबूत हो सके।
यदि प्रशासन के निचली इकाई तक कार्यकर्ता की पहुंच होगी तो सरकार को फीडबैक भी तुरंत और सही मिलेगा। इससे प्रभावी प्रशासन की अवधारणा मजबूत होगी। इसके अलावा विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से भारी संख्या में कांग्रेस के नेता भाजपा में आए उन्हें भी समायोजित करना जरूरी है। कुल मिला कर कार्यकर्ताओं की मजबूती पर फोकस करने की रणनीति बनाई जा रही है जिससे मध्य प्रदेश का भाजपा संगठन पूरे देश के लिए मॉडल की तरह सामने आए।