बीस भारतीय एथलीटों को ओलंपिक में ध्वजवाहक बनने का सम्मान मिला

पेरिस (वार्ता) भारत की ओर से ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय ध्वजवाहक बनने वाले पहले एथलीट पुरमा बनर्जी के बाद अब तक बीस एथलीटों को यह सम्मान मिला है। हॉकी खिलाड़ियों को सबसे अधिक छह बार यह सम्मान हासिल हुआ है।

बेल्जियम के हुये एंटवर्प ओलंपिक 1920 में 400 मीटर धावक पुरमा बनर्जी को पहला भारतीय ध्वजवाहक बनने का सम्मान मिला था।

ग्रीष्मकालीन खेलों में एक देश का ध्वजवाहक राष्ट्र के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है और इसे ओलंपिक आदर्शों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह भविष्य के लिए एक प्रेरणा या रोल मॉडल हो सकता है।

वर्षों से भारत के लिए ओलंपिक ध्वजवाहक अपने-अपने खेलों के अग्रणी खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने कई बार अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया है। उनकी पहचान भारत के महान खिलाड़ियों के रूप में होती है।

आजाद भारत में लंदन ओलंपिक 1948 के पहले ध्वजवाहक होने का सम्मान भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के प्रेरणादायक पहले कप्तान डॉ. तालीमरीन एओ को मिला।

अब तक बीस भारतीय एथलीट्स को ध्वजवाहक बनने का सम्मान हासिल किया है लेकिन इनमें से केवल आठ ही ऐसे एथलीट्स हैं, जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता।

देश के एकमात्र पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा रियो ओलंपिक 2016 में भारत के ध्वजवाहक थे। यह उनका आखिरी ओलंपिक भी था। ध्वजवाहकों में अन्य स्वर्ण पदक विजेताओं में 1932 ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान लाल चंद भोकरी, जादूगर ध्यान चंद, दिग्गज बलबीर सिंह सीनियर और जफर इकबाल भी शामिल हैं।

तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर ओलंपिक को ये सम्मान दो बार (1952, 1956) मिला है।

स्प्रिंटर शाइनी-अब्राहम विल्सन 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में देश की ओलंपिक ध्वजवाहक का सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला थी। शाइनी के अलावा ये सम्मान पाने वाली अन्य महिला अंजू बॉबी जॉर्ज हैं, जिन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में ये उपलब्धि हासिल की थी।

ओलंपिक में भारतीय हॉकी की एक बेहतरीन विरासत है। भारतीय टीम ने हॉकी में आठ स्वर्ण, दो सिल्वर और तीन कांस्य पदक जीते हैं, इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हॉकी खिलाड़ियों ने ओलंपिक (06) में भारत के लिए सबसे अधिक बार झंडा उठाया है।

टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस, निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और पहलवान सुशील कुमार अन्य ओलंपिक पदक विजेता हैं, जिन्होंने भारत के ओलंपिक ध्वजवाहक बनने का सम्मान हासिल किया।

ओलंपिक में पहली बार भारत की ओर से दो ध्वजवाहक रहे। टोक्यो ओलंपिक 2020 खेलों में मुक्केबाज मैरी कॉम और हॉकी खिलाड़ी मनप्रीत सिंह को ध्वजवाहक बनने का गौरव हासिल हुआ।

ओलंपिक में भारत के ध्वजवाहक इस प्रकार है।

1920 – पुरमा बनर्जी (एथलेटिक्स)
1932 – लाल शाह भोकरी (हॉकी)
1936 – ध्यानचंद (हॉकी)
1948 – तालीमरीन एओ (फुटबॉल)
1952 – बलबीर सिंह सीनियर (हॉकी)
1956 – बलबीर सिंह सीनियर (हॉकी)
1964 – गुरबचन सिंह रंधावा (एथलेटिक्स)
1972 – डेसमंड-नेविल डिवाइन जोन्स (मुक्केबाजी)
1984 – जफर इकबाल (हॉकी)
1988 – करतार सिंह ढिल्लों (कुश्ती)
1992 – शाइनी-अब्राहम विल्सन (एथलेटिक्स)
1996 – परगट सिंह (हॉकी)
2000 – लिएंडर पेस (टेनिस)
2004 – अंजू बॉबी जॉर्ज (एथलेटिक्स)
2008 – राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (निशानेबाजी)
2012 – सुशील कुमार (कुश्ती)
2016 – अभिनव बिंद्रा (निशानेबाजी)
2020 – मैरी कॉम (निशानेबाजी) और मनप्रीत सिंह (हॉकी)
2024 – शरत कमल (टेबल टेनिस) और पीवी सिंधु (बैडमिंटन)

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