डीजे पर आदिवासी गीतों से पूरा शहर हुआ गूंजायमान
झाबुआ: विश्व आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को सर्व आदिवासी संगठन समिति ने भव्य चल समारोह एवं बस स्टैंड पर भव्य सभा का आयोजन किया। इससे पूर्व आदिवासी संगठनों के पदाधिकारियों ने रानापुर तिराहे पर जिले के क्रांतिकारी टंट्या भील की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। यहीं से चल समारोह की शुरूआत हुई। चल समारोह में करीब 10-11 डीजे रहे। जिस पर आदिवासी गीतों पर सैकड़ों युवाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में हाथों में तीर-कमान लेकर नृत्य किया। चल समारोह शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए बस स्टैंड पहुंचा जहां सभा में परिवर्तित हुआ। इस दौरान पूरा बस स्टैंड जिलेभर से आए समाजजनों की भीड़ से खचाखच भरा दिखाई दिया। ज्ञातव्य रहे कि सर्व आदिवासी संगठन समिति द्वारा आयोजन को लेकर विगत एक पखवाड़े से तैयारी की जा रहीं है।
जिला मुख्यालय पर आयोजन के और शुभकामना संदेश के होर्डिंग्स-फलेक्स लगाने के साथ भव्य प्रचार-प्रसार किया गया। एक दिन पूर्व सर्व आदिवासी संगठन समिति के बेनर तले जय भीम जागृति समिति, मप्र भील सेना, जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन सहित अन्य संगठनों के पदाधिकारी-सदस्यों और समाज के वरिष्ठजनों ने मिलकर बैठक कर आयोजन की रूपरेखा तैयार की। सुबह 10.30 बजे से पीजी कॉलेज मैदान पर संगठनों के पदाधिकारियों के साथ समाजजनों का जमावड़ा शुरू हुआ।
दोपहर 1 बजे यहां से रानापुर तिराहे पर क्रांतिकारी टंट्या भील की प्रतिमा पर सर्व आदिवासी संगठन समिति के बेनर तले विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण करते हुए जयघोष लगाए। बाद चल समारोह निकाला गया। चल समारोह में युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया, जिला कांग्रेस कार्यवाहक हेमचंद डामोर के साथ सर्व आदिवासी संगठन समिति के बेनर तले सुनिल डावर, शंभुसिंह डोडियार, डॉ. एमएल फुलपगारे, बापूसिंह कटारा, भीमसिंह मोहनिया, बच्चूसिंह डावर, गब्बरसिंह वास्केल, कमलेश सिंगार, रावजी भूरिया, बेनेडिक्ट डामोर, अन्नू भाबोर, गोरी कटारा सहित अन्य पदाधिकारी शामिल हुए।
आदिवासी गीतों पर युवाओं ने किया नृत्य
चल समारोह के आगे डीजे पर आदिवासी गीतों पर पारंपारिक वेशभूषा में विश्व आदिवासी दिवस का जश्न मनाते हुए युवाओं के साथ समाज के वरिष्ठजनों ने अपने हाथों में तार-कामठी लेकर नृत्य किया। यह चल समारोह रानापुर तिराहे से मोजीपाड़ा, गोपाल कॉलोनी, राजगढ़ नाका, डीआरपी लाईन तिराहा, नेहरू मार्ग, राजवाड़ा, सज्जन रोड़, फव्वारा चौक होते हुए बस स्टैंड पहुंचा। बाजारों में समाजजनो की दिनभर विशेष भीड़ रहीं। समाजजनों ने एक-दूसरे को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देने के साथ सोशल मीडिया पर भी बधाई का क्रम चला।
बस स्टेंड खचाखच भरा
चल समारोह बस स्टेंड पहुंचने के बाद समाजजनों की भीड़ से खचाखच भर गया। युवाओं ने आदिवासी गीतों पर सामूहिक नृत्य किया। सभा में विभिन्न आदिवासी संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा संबोधन में बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया गया है। जिसे प्रतिवर्ष देश हीं नही अपितु विश्व में रहने वाले आदिवासी समाज के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा मनाते हुए गर्व की अनुभूति की जाती है। जल, जंगल, जमीन पर आदिवासी समाज का अधिकार होने के साथ आज समाज के महिला-पुरूष हर क्षेत्र में आगे होकर शासकीय नौकरियों के साथ प्रायवेट सेक्टर और राजनैतिक क्षेत्र में भी अपना नाम रोशन कर रहे है। आदिवासी समाज के महापुरूषों और नायकों की देश की आजादी में भी विशेष योगदान रहता है। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी आदिवासी समाज ने संघर्ष करते हुए हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया है।