भोपाल गैस त्रासदी का मामला
जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी राहत एव पुनर्वास विभाग में प्रतिनियुक्ति किये पाये डॉक्टरों को स्वास्थ विभाग से पदमुक्त नहीं किये जाने के संबंध में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने त्रासदी में पीडित व्यक्ति के लिए फंड जारी करने के निर्देश भी राज्य सरकार को दिये है।
गौरतलब है कि सर्वाेच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे। मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे। जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ 15 मेडिकल अधिकारियों को भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में पदस्थ किये जाने के संबंध में राज्य सरकार की तरफ से आदेश जारी किये गये थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन अधिकारियों को पदमुक्त नहीं किया गया है। इसके अलावा कैंसर सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फंड भी जारी नहीं किया गया है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये। याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की गयी है। याचिकाकर्ता की तरफ से सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।