त्रि-स्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकाय सिंगरौली के चुनाव में भाजपा चारो खाने चित्त, अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन,बीजेपी भितरघात की हुई शिकार
सिंगरौली : त्रि-स्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकाय सिंगरौली के चुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त को लेकर शीर्ष प्रदेश नेतृत्व चिंतन मंथन करने में जुट गया है। ऐसे में अब चर्चा है की भितरघातियों एवं ओहदा लेने वाले तथाकथित भाजपा नेताओं की छुट्टी हो सकती है।
जिले के त्रि-स्तरीय पंचायत के जनपद एवं जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद को भी भाजपा ने खो दिया है। तीनों जनपदों में कांग्रेस पार्टी का परचम लहराया है। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद कांग्रेस पार्टी ने 12 वर्षों बाद भाजपा से छिन लिया है। इसके पूर्व नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा मेयर प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
ननि सिंगरौली में आम आदमी पार्टी का मेयर चुना गया है। उक्त दोनों चुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त को लेकर भाजपा प्रदेश काफी चिंतित है। उन्हें इस बात की चिंता है की सिंगरौली भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है और यहां करारी हार कैसे हो गयी। इस हार के पीछे कारण कौन-कौन से हैं। विभीषण की भूमिका किसने अदा किया है। इस बात की पतासाजी भी की जा रही है। साथ ही सूत्र यह भी बता रहे हैं की भितरघातियों की सूची भोपाल भाजपा कार्यालय पहुंच गयी है। जिसमें दर्जनों तथा कथित भाजपा नेताओं के नाम शामिल हैं। जिसमें बीजेपी नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए काम करते रहे। भाजपा प्रदेश शीर्ष नेतृत्व ने कल जनपद, जिला पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव में जहां करारी हार मिली है वहां की समीक्षा की गयी। जिसमें खबर आ रही है की प्रदेश नेतृत्व सिंगरौली के चुनाव नतीजों से काफी खफा है और चुनाव में मिली करार हार की वास्तविकता कारणों का पता लगाकर भितर घातियों पर सख्त कार्रवाई करने के मूड में है। ताकि आगामी चुनाव में भितरघाती इस तरह का दुस्साहस भरा कदम न उठायें।
पति-पत्नी की जिद ने जिपं की दो सीट गवाई
जिला पंचायत वार्ड क्र.10 कुलकवार एवं वार्ड क्र.12 गीर से पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व.जगन्नाथ सिंह की बहू एवं पुत्र को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कुलकवार वार्ड अनारक्षित महिला के लिए था। जहां पूर्व जिपं अध्यक्ष राधा सिंह ने चुनावी अखाड़े में आ गयीं। जहां महज 42 सौ मतों से संतोष करना पड़ा। उक्त वार्ड से भाजपा वरिष्ठ नेता गुरू शीतला धर की बहू अर्चना-प्रवेन्द्र चुनाव मैदान में थीं। अर्चना-प्रवेन्द्र करीब 7 हजार मत लेकर दूसरे स्थान पर थीं। अनारक्षित महिला कुलकवार सीट से राधा सिंह को न लडऩे की सलाह भी दी गयी। साथ ही उन्हें यह भी समझाईश दी जा रही थी, किन्तु गीर वार्ड से लडऩे के लिए राजी नहीं हुए। वहीं गीर वार्ड से पूर्व मंत्री स्व.जगन्नाथ सिंह के पुत्र डॉ.रविन्द्र सिंह मैदान में आये और वे तीसरे स्थान पर रहे। जन चर्चा है की यदि पति-पत्नी अपनी जिद्द पर न अड़े होते तो यह दोनों वार्ड भाजपा समर्थित प्रत्याशी आसानी से जीत जाते। किन्तु कुछ सलाहकारों ने उनके राजनैतिक भविष्य पर संकट खड़ा कर दिया है।
प्रभारी मंत्री भी नहीं बना पाये समन्वय
जिले के प्रभारी बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने भी त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बनाने की कोशिश नहीं किये। लिहाजा यदि प्रभारी मंत्री व भाजपा का प्रदेश संगठन हस्तक्षेप करता और रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतारा जाता तो परिणाम कुछ और होता। भाजपा के कार्यकर्ताओं में ही इस बात की चर्चा है की भाजपा ने रणनीति बनाकर पंचायत चुनाव नहीं लड़ा। इसी का खामियाजा भाजपाईयों को भुगतना पड़ रहा है। जनपद एवं जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद खोने के बाद आम जनता में भी भाजपाईयों की जमकर किरकिरी हो रही है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है की प्रभारी मंत्री भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
साथ ही सिंगरौली नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा के तथाकथित नेता अपना वर्चस्व बनाने के लिए पार्टी की लुटिया डूबो दिया है। विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में भी इसी तरह का खेला खेला जा रहा था, किन्तु जनता जनार्दन ने उनके खेल को बिगाड़ दिया था। आरोप है की कुछ नेता भाजपा में ही रहकर भाजपा प्रत्याशियों को पर्दे के पीछे हराने के लिए खेला करते आ रहे हैं। पहले के चुनाव में ऐसे भितरघाती नेताओं की रणनीति फेल जा रही थी। इस बार वे अपने रणनीति में कामयाब रहे।