झाबुआ। शासकीय अतिथि एवं सविदा चिकित्सको के पदो पर आयुष चिकित्सको की नियुक्ति करने वाली सरकार का वर्तमान में एक आदेश आयुष चिकित्सको का कार्य प्रभावित कर रहा है। दरसल बात मोहन सरकार के उस आदेश की है जिसमे उन्होंने राज्य में संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सको के व्यवसाय एवं प्रतिष्ठानो पर जांच कर उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये है, जिसके अंतर्गत झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना के आदेशानुसार आयुक्त चिकित्सा शिक्षा मप्र. संचालनालय, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, भोपाल के परिपालन में जिले में संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सकीय संस्थानों एवं अपात्र व्यक्तियों, झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे अमानक चिकित्सकीय व्यवसाय को नियंत्रित करने हेतु जिले के अधिकारिथों का अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत जांचकर निर्देशानुसार, नियमानुसार कार्यावाही करने हेतु जांचदल का गठन किया है। जिसमें एसडीएम झाबुआ, मेघनगर, थांदला एवं पेटलावद को अध्यक्ष नियुक्त किया है। खंड चिकित्सा अधिकारी (संबंधित) को सचिव नियुक्त किया है। तहसीलदार, नायब तहसीलदार झाबुआ, मेघनगर, थांदला, पेटलावद, रामा, रानापुर, सारंगी, झकनावद एवं खवासा तथा थाना प्रभारी (संबंधित) को सदस्य नियुक्त किया है। उक्त गठित जांचदल शासन निर्देशानुसार अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सकीय संस्थानों एवं अपात्र व्यक्तियों, झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे अमानक चिकित्सकीय व्यवसाय की सतत जांचकर नियमानुसार कार्यावाही करेगें। शासन निर्देशानुसार जिले में अपात्र व्यक्तियों, झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा अनैतिक व्यवसाय को नियंत्रित करने हेतु बनाया गया है।
आयुष चिकित्सको पर पड रहा प्रभाव
गोैरतलब है की बात जिले के उन आयुष चिकित्सको की है जिन पर इस आदेश का प्रभाव पड़ रहा है जिन्होंने हाल ही में झाबुआ कलेक्टर द्वारा लगाये गये मेघा हेल्थ शिविर में अपनी सेवाएं दी एवं सतत पूर्व में भी कई शिविरों में अपनी सेवाएं देते आ रहे है। ऐसे आयुष चिकित्सको को भी जिले के अधिकारी अपनी जांच के दायरे में लेकर उनके भविष्य पर सवालिया निशान लगा रहे है चूंकी भविष्य में कई गंभीर बीमारिया के प्रकोप से इंकार नही किया जा सकता, उस समय राज्य में पंजीकृत चिकित्सको की कमी के चलते इन आयुष चिकित्सको की भूमिका को भी ध्यान में रखना मोहन सरकार का दायित्व होना चाहिये। ज्ञात रहे सुगम चिकित्सा के आभाव मंे जिले के सेैकड़ो मरीजों को प्रतिदिन पड़ोसी राज्यों में जाना पड़ता है। ऐसे में अगर प्राथमिक चिकित्सा भी समय पर ना मिले तो जन हानि का खतरा भी बना रहता है, उस पर ऐसे आदेशों का प्रेषित होना जिसके दायरे मे आयुष चिकित्सको को लिया जायेगा अनुचित बताया जा रहा है।
1 झाबुआ-6- शिविरों में देते रहे सेवा