तीन तहसीलदार, पटवारियों सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी जांच के दायरे में
सुसनेर, 1 अगस्त. 4600 करोड़ के कुंडालिया बांध के भू-अर्जन और अन्य मुआवजा प्रकरणों में हुई घोटालेबाजी की लोकायुक्त के द्वारा वर्ष 2016 से जांच की जा रही है. लोकायुक्त जांच के दायरे में 3 कलेक्टर, 4 डिप्टी कलेक्टर और 3 तहसीलदार समेत पटवारियों के अलावा, जल संसाधन विभाग के कई अधिकारी शामिल हैं. इनमें से कुछ तो रिटायर्ड भी हो चुके हैं, तो कुछ का स्थानांतरण अन्य जिलों में भी हो चुका है, लेकिन इनके कारनामें अब उजागर हो रहे हैं.
लोकायुक्त जांच दल इस मामले में 60 से भी अधिक लोगों और अधिकारियों के कथन दर्ज कर चुका है. मामले में लोकायुक्त को सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर 4 दलाल मिले हैं. इनमें से अधिकांश ने अपने बयान दर्ज भी कराए हैं. बयान दर्ज कराने वालों ने अन्य कर्मचारियों के नाम भी खोले हैं. उनसे भी पूछताछ हो रही है. आगर जिले के जिला कोषालय से भी लोकायुक्त ने 2016 से 2024 के बीच कुंडालिया बांध में मुआवजे के नाम पर कितनी राशि किस को दी गई है. इसकी जानकारी भी हासिल की है. सूत्रों के अनुसार अभी तक की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इन खुलासों में 1 जनप्रतिनिधि तथा कुछ मीडियाकर्मियो के भी नाम बयानों में सामने आए हैं. अब इनकी पुष्टी की जा रही है. तो दूसरी ओर इस पूरे मामले को दबाने में प्रशासनिक लॉबी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है.
कलेक्टर ने दिए थे एफआईआर के निर्देश
कुंडालिया बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले ग्राम भंडावद और आसपास के 3 गांव में नाबालिगों को बालिग बनाकर उनके मतदाता परिचय पत्र और आधार कार्ड की जन्मतिथियों में हेराफेरी करके करोड़ों का मुआवजा हांसिल करने के मामले की कलेक्टर के द्वारा जांच कराए जाने तथा जांच में करीब 5 करोड़ का घोटाला उजागर होने के बाद एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे. किन्तु कलेक्टर के निर्देशों को एक माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने उन्हें रद्दी की टोकरी में फैंक रखा है. तथा मामले की जांच ही की जा रही है. यह कहकर प्रमाणित घोटाले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है.
आरटीआई में नहीं दी गई जानकारी…
नलखेड़ा के एक आरटीआई एक्टिविस्ट के द्वारा मुआवजा संबंधित प्रकरणों के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी. जिस पर जिला प्रशासन ने जानकारी देने से मना कर दिया है. जानकारी मांगने वाले को भेजे गए जवाब में जिला प्रशासन ने कहा कि कार्यालयीन प्राप्त जानकारी के अनुक्रम में ग्राम भंडावद के पुनर्वास पैकेज योजना में मुआवजा संबंधी प्रकरण की जांच लोकायुक्त में प्रचलित होने से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (ज) के अनुसार अन्वेषण या अभियोजन की क्रिया में अड़चन संभावित होने के कराण वांछित जानकारी नहीं दी जा सकती है. इससे स्पष्ट है कि जिला प्रशासन ने भी स्वीकार किया है कि कुंडालिया बांध के मुआवजा संबंधी प्रकरणों की जांच लोकायुक्त के द्वारा की जा रही है.
इनका कहना है
कुंडालिया बांध परियोजना में मुआवजा वितरण की गड़बडिय़ों और घोटाले की जांच की जा रही है. 2016 से 2024 के बीच के मामलों की जांच हो रही है. इसलिए जांच में समय लग सकता है. जांच दल ने कई लोगों के बयान भी दर्ज किए हैं. आगर कलेक्टर ने मुआवजा संबंधित घोटाले में क्या आदेश दिए हैं. इससे लोकायुक्त का कोई लेना-देना नहीं है.
– राजेश पाठक, डीएसपी, लोकायुक्त एवं जांच अधिकारी उज्जैन