इंजीनियर और बाबुओं पर चार से पांच योजनाओं का भार
इंदौर:इंदौर विकास प्राधिकरण में अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी है. हालत यह है कि एक इंजीनियर और एक बाबू के पास चार से पांच योजनाओं प्रभार है. करीब एक साल से आईडीए राज्य शासन से अधिकारियों और कर्मचारियों नियुक्ति की मांग कर रहा है, मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.आईडीए में इंजीनियर और बाबुओं का दिन प्रतिदिन टोटा बढ़ता जा रहा है. स्थिति यह है कि 2025 दिसंबर तक आईडीए 90 प्रतिशत से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी के कारण खाली हो जाएगा. अभी उपयंत्री स्तर के अधिकारी, प्रभारी कार्यपालन यंत्री और कार्यपालन यंत्री, प्रभारी अधीक्षण यंत्री का काम कर रहे है. खास बात यह है कि सहायक यंत्री आईडीए में कोई नहीं है. यही हाल बाबुओं का है, संपदा के एक एक बाबू के पास चार से पांच योजनाओं का प्रभार है. कार्यालयीन बाबू भी विभिन्न योजनाओं के प्रभार से त्रस्त है.
2025 तक 26 इंजीनियर और होंगे रिटायर्ड
दरअसल मामला यह है कि आईडीए जब अस्तित्व में आया, उस समय से 386 पद स्वीकृत है. उसमें प्रथम श्रेणी के 29, द्वितीय श्रेणी में 42, तृतीय श्रेणी 272 के साथ 43 द्वितीय श्रेणी के इंजीनियर के पद स्वीकृत किए गए थे. अभी आज की हालत यह है कि आईडीए 386 में से 231 पद खाली है. आज ही एक इंजीनियर और तीन बाबुओं के साथ एक कर्मचारी रिटायर्ड हो गए. 231 खाली पद में प्रथम श्रेणी के 20, द्वितीय श्रेणी 41, तृतीय श्रेणी 141 के साथ द्वितीय श्रेणी के 26 इंजीनियर के पद रिक्त है. ध्यान देने वाली बात यह है कि 2025 तक आईडीए के 26 इंजीनियर और रिटायर्ड हो जाएंगे.
काम कैसे संचालित होंगे….?
ऐसे में नई भर्ती शासन ने नहीं की तो शहर में चल रहे फ्लाई ओवर, योजनाओं और सड़कों के काम कैसे संचालित होंगे. अभी सभी अधिकारियों और बाबुओं की हालत यह है कि सब के सब काम के बोझ के मारे हो गए है. यहां तक महिला कर्मचारियों को भी कम के बोझ तले कई योजनाओं का भार उठाना पड़ रहा है.
इनका कहना है
इस बारे में सीईओ आरपी अहिरवार कहते है कि हम कई बार शासन को डिमांड भेज चुके है. अभी हमको संविदा पर चार उपयंत्री, तीन बाबू और दो कंप्यूटर ऑपरेटर रखने की अनुमति मिली है. जल्द ही हम उक्त नौ कर्मियों को रखने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे. बाकी शासन की और से जैसे आदेश होंगे, वैसा करेंगे.