क्यों नहीं रूक पा रहे रेल हादसे?

इन दिनों देश में रेल हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. दो दिन पहले झारखंड के टाटानगर के पास चक्रधरपुर में फिर रेल हादसा हो गया.हावड़ा से मुंबई जा रही हावड़ा-सीएसएमटी मेल के 18 डिब्बे पटरी से उतर गए है. इस हादसे में कम से कम दो यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 50 लोग घायल हो गए. बताया जाता है कि इस रूट पर दो दिन पहले एक मालगाड़ी भी पटरी से उतरी थी.आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 14 महीनों में चार बड़े रेल हादसे हुए हैं, जिसमें 320 से ज्यादा यात्रियों ने अपनी जान गंवाई है. दरअसल, भारतीय रेले हर दिन एक लाख किमी से अधिक फैले देशव्यापी ट्रेक नेटवर्क पर करीब ढाई करोड़ यात्रियों को अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाती है. साल 2019-20 के लिए एक सरकारी रेलवे सुरक्षा रिपोर्ट में पाया गया है कि 70 फीसदी रेलवे दुर्घटनाओं के लिए उनका पटरी से उतरना जिम्मेदार था, जो पिछले वर्ष 68 फीसदी से अधिक था. इसके बाद ट्रेन में आग लगने और टक्कर लगने के मामले आते हैं, जो कुल दुर्घटनाओं में क्रमश:14 और आठ फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं. इस रिपोर्ट में साल 2019-20 के दौरान 33 यात्री ट्रेनों और सात मालगाडिय़ों से संबंधित 40 पटरी से उतरने की घटनाएं गिनाई गईं. इनमें से 17 पटरी से उतरने की घटनाएं ट्रैक खराबियों के कारण हुईं. जबकि नौ घटनाएं ट्रेनों, इंजन, कोच, वैगन में खराबी के कारण हुईं है.

दरअसल, ट्रेनों का पटरी से उतरना रेलवे के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. एक ट्रेन कई कारणों से पटरी से उतर सकती है. ट्रैक का रखरखाव खराब हो सकता है, कोच खराब हो सकते हैं, और गाड़ी चलाने में गलती हो सकती है.ट्रेन हादसों को रोकने के लिए ट्रेन की पटरियों का मरम्मत कार्य होते रहना बहुत जरूरी है. धातु से बनी रेलवे पटरियां गर्मी के महीनों में फैलती हैं और सर्दियों में तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण सिकुड़ती है. ऐसे में इन्हें नियमित रखरखाव की जरूरत होती है. जरा सी लापरवाही बड़े हादसे की वजह बन सकती है. ढीले ट्रैक को कसना, स्लीपर बदलना और अन्य चीजों के अलावा, चिकनाई और समायोजन स्विच. इस तरह का ट्रैक निरीक्षण पैदल, ट्रॉली, लोकोमोटिव और अन्य वाहनों द्वारा किया जाता है.

रेल विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन के पटरी से उतरने की एक वजह नहीं, बल्कि कई वजहें हैं.सबसे मुख्य कारण रेलवे ट्रैक पर मैकेनिकल फॉल्ट यानी रेलवे ट्रैक पर लगने वाले उपकरण का खराब हो जाने को माना जाता है. इसके अलावा ये हादसे उस वक्त होते हैं, जब पटरियों पर दरार पड़ जाती हैं. वहीं, ट्रेन के डिब्बों को बांध कर रखने वाले उपकरण का ढीला होना भी इसका एक कारण हो सकता है.इसके अलावा एक्सेल जिस पर ट्रेन की बोगी रखी होती है, उसका टूटना भी ट्रेन के डिरेल होने की एक संभावित वजह हो सकता है. लगातार चलते रहने के कारण ट्रेन की पटरियों से पहियों का घिस जाना भी ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह हो सकता है. गर्मी के मौसम में पटरियों के स्ट्रक्चर में कई बार बदलाव आ जाता है. इसके अलावा तेज चलती ट्रेन को तेज स्पीड से मोडऩा या फिर ब्रेक लगा देना भी ट्रेन के पटरी छोडऩे की वजह हो सकता है.इसे रोकने का एक ही तरीका है मरम्मत कार्य चलता रहे. पिछली बार एक रेल दुर्घटना के बाद रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक ने बताया था कि पिछले कुछ सालों से रेलवे में भर्तियां नहीं हो रही हैं. यानी स्टाफ की कमी के कारण भी ट्रेनों का रखरखाव नहीं हो रहा है. एक सवाल यह भी है कि क्या रेलवे बिना तैयारी के ट्रेनों की गति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है? क्या हमारी पटरियां वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनों को दौड़ाने की स्थिति में हैं ? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद बड़े प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं. उन्हें संवेदनशील भी माना जाता है. ऐसे में उनका फोकस पूरी तरह से रेलवे की सुरक्षा पर होना चाहिए. दरअसल,रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के पास आईटी मंत्रालय भी है. इस बार उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी दिया गया है. भाजपा ने उन्हें महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया हुआ है.जाहिर है इतनी जिम्मेदारी है होने के कारण उनका फोकस रेल पर नहीं रहता. इस संबंध में भी सरकार को सोचना चाहिए. कुल मिलाकर यात्रियों की सुरक्षा रेलवे के लिए सर्वोपरि होना चाहिए.

 

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