नवभारत न्यूज
इंदौर. शहर में केबल कार (रोप वे) चलाने के लिए सर्वे चल रहा है. सर्वे उन मार्गों पर किया जा रहा है, जहां पर मैट्रो या फ्लाई ओवर नहीं है. यह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का नया वाहक है.
इंदौर में केबल कार चलाने के लिए फिजिबिलिटी सर्वे जारी है. यह करीब छह माह तक चलेगा. इसके लिए उन स्थानों और क्षेत्रों की जानकारी ली जा रही है, जहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं है. यानि मेट्रो और फ्लाई ओवर बीच नहीं आ रहे है. केबल कार पब्लिक ट्रांसपोर्ट का नया वाहक है, जिसमें कम समय में जनता ज्यादा दूरी आसानी से तय कर सकेगी. फिजीबिलिटी सर्वे के लिए गुड़गांव की वेटकॉस कंपनी को ठेका दिया है. इस कंपनी ने वाराणसी में भी केबल कार डालने का कार्य किया है. कंपनी ने सर्वे के लिए छह-सात लोगों का स्टाफ तैनात कर दिया है. स्टाफ के लोग आईडीए के अधिकारियों से समय समय पर सलाह मशवरा भी कर रहे है। उक्त कंपनी भारत सरकार की पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग है. सर्वे के बाद डीपीआर बनेगी । डीपीआर के बाद टेंडर होंगे.
इनका कहना है…
आईडीए सीईओ आर पी अहिरवार ने बताया कि एक टीम शहर में सर्वे कर रही है। शहर में पिक अवर में जनता कब और कहां ज्यादा होती है। एक रिपोर्ट बनाएगी और फिर टेंडर से लेकर पूरा काम ऑपरेट करेगी। आईडीए उनको सहयोग कर रहा है.
वाराणसी शहर में देश की पहली केबल कार
देश में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में पहली केबल कार ( रोप वे ) चल रही है। यह मार्च 2024 में शुरू हुई थी। इसकी आधारशिला और शुभारंभ दोनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। यह केबल कार वाराणसी केंट रेलवे स्टेशन से काशी विश्वनाथ मंदिर तक चलाई जा रही है। इस पर 895 रुपए खर्च किए गए है। खास बात यह है कि केबल कार पहाड़ी और माता मंदिरों तक ही सीमित थी , लेकिन अब यह शहरों में ट्रैफिक जाम से बचने के लिए चलने लगी है।