सभी के लिए कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र आवश्यक नहीं: विभाग

नयी दिल्ली 28 जुलाई (वार्ता) आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि वित्त विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के मद्देनजर सभी लोगों को विभाग से कर भुगतान प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि कालाधन अधिनियम 2015 में किये गये प्रावधानों के दायरे में आने वालो को यह प्रमाण पत्र हासिल करना होगा।

इसको लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर आ रही खबरों के बीच केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने रविवार को एक स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 230 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को कर कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक नहीं है। केवल कुछ व्यक्तियों के मामले में, जिनके संबंध में ऐसी परिस्थितियाँ मौजूद हैं जो कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक बनाती हैं, उन्हें ऐसा प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।

इस संबंध में, सीबीडीटी ने अपने निर्देश संख्या 1/2004, दिनांक 5-2-2004 के अनुसार निर्दिष्ट किया है कि कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र केवल निम्नलिखित परिस्थितियों में भारत में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है। पहला जहां व्यक्ति गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल है और आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम के तहत मामलों की जांच में उसकी उपस्थिति आवश्यक है और यह संभावना है कि उसके खिलाफ कर की मांग उठाई जाएगी। दूसरा जहां व्यक्ति के खिलाफ 10 लाख रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष कर बकाया है, जिस पर किसी भी प्राधिकरण द्वारा रोक नहीं लगाई गई है। इसके अलावा, किसी व्यक्ति को कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए केवल कारणों को दर्ज करने और प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त या मुख्य आयकर आयुक्त से अनुमोदन लेने के बाद ही कहा जा सकता है। ऐसा प्रमाणपत्र आयकर प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाना आवश्यक है, जिसमें कहा गया हो कि ऐसे व्यक्ति पर आयकर अधिनियम, या संपत्ति कर अधिनियम, 1957, या उपहार कर अधिनियम, 1958, या व्यय कर अधिनियम, 1987 के तहत कोई देनदारियां नहीं हैं।

सीबीडीटी ने कहा कि चूंकि, काला धन अधिनियम, 2015 भी सीबीडीटी द्वारा प्रशासित है, इसलिए हाल ही में पेश वित्त (संख्या 2) विधेयक, 2024 के माध्यम से, उन अधिनियमों की सूची में काला धन अधिनियम, 2015 का संदर्भ जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए अपनी देनदारियों को चुकाना चाहिए। इसलिए, जैसा कि ऊपर बताया गया है, प्रस्तावित संशोधन में सभी निवासियों को कर क्लियरेंस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।

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