नाबालिग बलात्कार पीडिता के मामले में हाईकोर्ट का अहम आदेश
जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की मांग संबंधित याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अदालत के आदेश पर गठित मेडिकल बोर्ड के अनुसार, लड़की 28 सप्ताह की गर्भवती है, जबकि उसकी दादी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि उसके साथ चार माह पूर्व बलात्कार हुआ था। एकलपीठ ने एफआइआर को संदिग्ध मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 15 वर्षीय नाबालिक बलात्कार पीडिता की तरफ से हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने मेडिकल बोर्ड को पीडित की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये थे। हाईकोर्ट में पेश की गयी मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था कि पीडिता के गर्भ में 28 सप्ताह का भ्रण है, जिसका मतलब है कि उसका गर्भाधान साढ़े पांच से छह महीने पहले हुआ था। एमटीपी अधिनियम 24 सप्ताह से अधिक समय तक गर्भपात पर रोक लगाता है। हाईकोर्ट अनुमति देता है, तो एमटीपी किया जा सकता है, गर्भपात तथा बच्चा पैदा करने,दोनों स्थिति में बहुत अधिक जोखिम होगा।
एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़ित की दादी के अनुसार पीडिता के साथ 7 अप्रैल से 1 मई 2024 के बीच बलात्कार हुआ है। एफआईआर के अनुसार के अनुसार पीड़िता के साथ तीन से चार माह के बीच बलात्कार हुआ है। मेडिकल रिपोर्ट से स्पष्ट है कि 7 जुलाई 2024 को दादी द्वारा दर्ज करवाई गयी एफआईआर में अवधि के बारे में गलत जानकारी दी है। एकलपीठ ने एफआईआर को संदिग्ध मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।