जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर, बीमारियों का अंदेशा

सडक़ पर बह रहा घरों का गंदा पानी, राहगीरों को भी उठानी पड़ रही परेशानी

 

नलखेड़ा, 25 जुलाई. नगर परिषद साफ सफाई के मामले में गंभीर नहीं है. नगर के कई जगह में कचरा बिखरा हुआ है. स्वच्छता पर लाखों रुपये खर्च होने के बाद नगर में बदहाली के नजारे देखे जा सकते हैं. सफाई के नाम पर केवल मुख्य मार्ग की सडक़ों को चकाचक किया जाता है. स्वच्छता के मानकों पर शहर पूरी तरह खरा नहीं उतर रहा है. अब तक लाखों रुपये शहर की स्वच्छता पर खर्च किए जा चुके हैं लेकिन स्थिति में अब भी आशाजनक सुधार नहीं आया है.

स्वच्छता के मानकों के मुताबिक वार्डों से गीला और सूखा कचरा तक अलग अलग एकत्रित नहीं किया जाता है. नगर परिषद नगर की सफाई व्यवस्था को लेकर कितनी लापरवाही बरत रही है. इसकी बानगी आजकल देखने को मिल रही है. बता दें कि नगर परिषद शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का दम भरता है. लेकिन जब गली मोहल्लों में पसरी गंदगी को देखा जाता है तो मालूम पड़ता है कि नगर परिषद शहर में सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहा है. शहर की साफ सफाई को लेकर नगर परिषद द्वारा इस समय कई सफाई कर्मचारी, दो ट्रैक्टर, घरों से कूड़ा इक_ा करने वाले पांच वाहनों के अलावा अन्य मैन पावर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन बावजूद इसके शहर में स्वच्छता को न केवल पलीता लगाया जा रहा है बल्कि लाखों रुपये बर्बाद भी किए जा रहे हैं.

 

रोड पर आ रहा घरों से निकलने वाला गंदा पानी

 

नालियों का निर्माण नहीं होने से नगर परिषद के वार्ड 7 और 2 में घरों का गंदा पानी का जमाव सडक़ों पर हो रहा है. रोज सुबह मंदिर जाने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. नालियों का गंदा पानी घरों के आगे जमा है. गंदे पानी की बदबू व चारों तरफ गंदगी फैली रहती है. गंदे पानी का भराव सडक़ों पर होने से यहां से लोगों का पैदल निकलना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं गंदे पानी की बदबू से आसपास के निवासी परेशान हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या से लगातार नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों को अवगत कराने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है. स्थानीय निवासियों ने लिखित शिकायत करते हुए व्यवस्था में सुधार करने की मांग की थी लेकिन कार्रवाई के अभाव में यह समस्या और भी विकराल हो गई है.

 

सफाई के नाम पर लाखों रूपए खर्च, नतीजा सिफर

 

स्वच्छता पर हर साल नगर परिषद में लाखों रुपये का बजट बनता है. इसके बाद स्वच्छता पर खर्च होने वाली राशि नगर परिषद द्वारा कभी उजागर नहीं की गई. यहीं नहीं लाखों खर्च करने के बावजूद नगर की स्थिति स्वच्छता के मामले में जस की तस बनी हुई है. नगर के गली मोहल्लों और शासकीय अस्पताल के पास व सरकारी कार्यालयों के पास कचरे के ढ़ेर देखने को मिल रहे हैं. नगर परिषद में साफ. सफाई का बहुत बुरा हाल है. नगर प्रशासन सफाई के जितने भी दावे कर ले, लेकिन वार्डों मे फैली गंदगी कुछ और ही हकीकत बयां कर रही हैं. नगर परिषद के नगर में कई स्थानों पर कचरे का ढेर लगा हुआ है. जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है. साथ ही गंभीर बीमारियों के फैलने की आशंका बनी हुई है. गंदगी एवं कचरे के ढ़ेर को देखकर ऐसा लग रहा है कि सफाई कभी इस मोहल्ले में नहीं होती होगी. जबकि नगर परिषद द्वारा नगर की सफाई व्यवस्था पर सलाना लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

 

शासकीय अस्पताल के पास गंदगी

 

अस्पताल एक ऐसा संवेदनशील स्थान होता है जहां स्वच्छता मानक की पहली शर्त होती है. वैसे भी आज पूरे देश में स्वच्छता को लेकर अभियान चलाया जाता है. लेकिन शासकीय अस्पताल के पास नाले में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जहां संक्रमण की आशंका भी रहती है. आम लोगों को अपने घर के आसपास सफाई रखने का पाठ पढ़ाने वाला स्वास्थ्य विभाग यहां खुद उस पाठ को भूल गया लगता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी उसी नाले में कचरा फेंका जा रहा है.

 

इनका कहना है

आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है, मैं सीएमओ को निर्देश देता हूं.

– आरपी वर्मा, अपर कलेक्टर

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