एनएच-39 गोंदवाली मार्ग से दो चका वाहनों से निकलना है मुश्किल, आधा किलोमीटर दूर तक केवल कोयले का डस्ट ही दिखता है
सिंगरौली :गोंदवाली कोलयार्ड आस-पास गांवों के रहवासियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। कोयले के डस्ट ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है और यह डस्ट नासूर बनता जा रहा है। आरोप है कि प्रदूषण नियंत्रण अमला फिर से बेसुध हो गया है।दरअसल एनएच-39 सीधी-सिंगरौली के निर्माणाधीन फोरलेन गोंदवाली के समीप कोलयार्ड बनाया गया है। जहां इन दिनों कोयले के डस्ट से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। आलम यह है कि गोंंदवाली के समीप जिस वक्त कोयले का परिवहन किया जाता है उस दौरान इस मार्ग से दो चका वाहन से भी चलना मुसीबत भरा रहता है।
करीब आधा किलोमीटर दूरी तक केवल डस्ट ही डस्ट दिखाई देता है। आरोप है की रेल के धुओं के गुब्बारे की तरह डस्ट उड़ता रहता है। किन्तु क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अमले को दूर-दूर तक यह डस्ट नजर नहीं आता है। उनकी नजर इस दौरान कहां ओझल हो जा रही हैं इस बात को लेकर अब तरह-तरह की चर्चाएं चलने लगी हैं। आरोप यहां तक हैं की म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण अमला सब कुछ जानते हुए अंजान बना हुआ है और इन्हीं के संरक्षण में कोल कारोबार से जुड़े संविदाकार खूब फल-फूल रहे हैं।
यहां की जनता से उनका कोई सरोकार नहीं है। कोयले की डस्ट से भले ही खेतीबाड़ी चौपट हो रही है और लोग तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं उनसे कोई वास्ता नहीं है। यही कारण है कि एयर क्वालिटी इंडैक्स वैल्यू रोजाना सवा दो सौ को पार कर दे रहा है। हालांकि वायु प्रदूषण से इन दिनों कुछ राहत है। कुछ दिनों पहले एक्यूआई वैल्यू 400 को पार कर दे रहा था। फिलहाल गोंदवाली कोलयार्ड में कोयले का परिवहन करते समय पानी का छिड़काव करने से संविदाकार परहेज क्यों कर रहे हैं इसको लेकर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अमला सवालों के घेरे में है।