आर्थिक सर्वे : शुक्ल पक्ष और चुनौतियां

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया. परंपरा अनुसार बजट के एक दिन पूर्व संसद में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जाता है. नरेंद्र मोदी सरकार मंगलवार को केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने वाली है. आर्थिक सर्वेक्षण में देश की अर्थव्यवस्था की उजली तस्वीर प्रस्तुत की गई है.

इस इकोनॉमिक सर्वे में सरकार का पूरा फोकस एग्रीकल्चर सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और पीपीपी पर रहा है. मोदी 3.0 द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में भारत की जीडीपी को लेकर जिक्र किया गया. इसमें कहा गया कि देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5 से 7 फीसदी तक है. आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की ओर से जहां देश की जीडीपी अनुमान जाहिर किया गया, तो वहीं इस आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने एक बड़ी चुनौती का भी जिक्र किया है. सरकार का कहना है कि ग्लोबल चुनौतियों की वजह से एक्सपोर्ट के मोर्चे पर देश को थोड़ा झटका लग सकता है, लेकिन सरकार इसको लेकर भी पूरी तरह से सतर्क है. इसमें कहा गया है कि ग्लोबल बिजनेस में चुनौतियां पेश आने की आशंका है. दरअसल, ग्लोबल अनिश्चितता से कैपिटल फ्लो पर असर देखने को मिल सकता है. देश की इकोनॉमी की हेल्थ की पूरी तस्वीर पेश करने वाले इस सर्वे में रोजगार को लेकर डाटा पेश किया गया है. इसमें कहा गया है कि जनसंख्या अनुपात में ग्रोथ के साथ कोरोना महामारी के बाद से देश की सालाना बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की जा रही है. मार्च 2024 में 15 प्लस आयु वर्ग के लिए शहरी बेरोजगारी दर पिछले वर्ष के 6.8 फ़ीसदी से घटकर 6.7 फ़ीसदी पर आ गई है. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत की कुल वर्क फोर्स में से करीब 57 फीसदी स्वरोजगार कर रही है. युवा बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8 फ़ीसदी से गिरकर 2022-23 में 10 फ़ीसदी पर आ गई है. सर्वे में ये भी कहा गया है कि नॉन एग्रीकल्चर सेक्टर में साल 2030 तक औसतन सालाना करीब 78.5 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है. ऐसा कहा गया कि सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय पर जोर दिए जाने और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में लगातार आ रही तेजी के कारण रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिला है. इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, 2023-24 में इसमें 9 फीसदी की जोरदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आर्थिक सर्वेक्षण में एक राहत भरी उम्मीद वित्तीय घाटे को लेकर भी जताई गई है. इसमें अनुमान जताते हुए कहा गया है कि 2026 के वित्तीय वर्ष तक भारत का वित्तीय घाटा घटकर 4.5 फीसदी पर आने की संभावना है. इसमें कहा गया है कि सरकार का पूरा फोकस राज्यों की क्षमता बढ़ाने पर है.सर्वे में कहा गया है कि देश ने कोरोना महामारी के बाद तेजी से रिकवरी की है और इसके बाद वास्तविक जीडीपी ग्रोथ में तगड़ा उछाल आया है. आंकड़े पेश करते हुए सर्वे में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2020 की तुलना में 20 फीसदी बढ़ी है. आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर गौर करें, तो इसमें शेयर बाजार को लेकर कहा गया है कि प्राइमरी मार्केट ने वित्त वर्ष 2024 में 10.9 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निर्माण किया, जबकि ये आंकड़ा वित्त वर्ष 2023 में 9.3 लाख करोड़ रुपये था. स्टॉक मार्केट का निफ्टी-50 इंडेक्स वित्त वर्ष 24 के दौरान 26.8 फीसदी की बढ़त में रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.2 फीसदी की गिरावट में था. कुल मिलाकर यह बताया गया कि अर्थव्यवस्था सकारात्मक दिशा में सही रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है. उम्मीद करना चाहिए कि बजट में खास तौर पर बेरोजगारी को दूर करने के लिए प्रावधान किए जाएंगे.

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