संसद के बजट सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना

नयी दिल्ली 21 जुलाई (वार्ता) संसदीय कार्य मंत्री किरेण रिजिजू ने रविवार को कहा कि संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना सत्ता तथा विपक्ष दोनों का सामूहिक दायित्व होता है और सरकार नियमों के तहत सभी विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष की नीट पेपर लीक, केन्द्रीय एजेन्सियों के दुरूपयोग, बेरोजगारी तथा महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा और लोकसभा में उपाध्यक्ष पद उसे दिये जाने की मांग के चलते संसद के बजट सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है।

वाई एस आर कांग्रेस की आन्ध्र प्रदेश, जनता दल यू की बिहार और बीजू जनता दल की ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का असर भी संसद सत्र के दौरान दिखाई देगा।

श्री रिजिजू ने मंगलवार से शुरू हो रहे बजट सत्र से एक दिन पहले आज सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेताओं के साथ व्यापक चर्चा के बाद कहा कि बैठक में सार्थक चर्चा हुई और कई अच्छे सुझाव रखे गये। उन्होंने कहा कि संसद को सुचारू ढंग से चलाने की जिम्मेदारी सत्ता तथा विपक्ष की सामूहिक होती है। उन्होंने कहा कि सरकार कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के एजेन्डे तथा नियमों के आधार पर बहस के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “ हमारे सामूहिक प्रयास और समर्पण से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि राष्ट्र की जरूरतों को प्रभावशाली ढंग से पूरा किया जा सके। सत्र के दौरान रचनात्मक और सार्थक चर्चा के प्रति आशान्वित हैं। ”

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि सरकार लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री सिंह ने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि जब सदन में कोई सदस्य अपनी बात रखता है तो अन्य सदस्यों को बीच में व्यवधान पैदा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से प्रधानमंत्री की बात के बीच में टोका टोकी संसदीय परंपरा के अनुरूप नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री सदन में बोलते हैं तो सदस्यों तथा देश को उनकी बात को ध्यान से सुनना चाहिए।

उधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने लोकसभा उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की मांग करते हुए कहा कि बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्या तथा नीट पेपर लीक जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए।

लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने बैठक में लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने का मुद्दा उठाया और कहा कि बैसाखियों पर चल रही सरकार में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है इसलिए उपाध्यक्ष पद विपक्षी दलों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया और कहा कि वह केंद्रीय एजेंसी का मनमाने तरीके से इस्तेमाल कर रही है।

पार्टी के राज्यसभा में उप नेता प्रमोद तिवारी ने बैठक के बाद संसद भवन परिसर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि परंपरागत तौर पर सर्वदलीय बैठक इसलिए होती है ताकि सदन की कार्यवाही अच्छी चले और विपक्षी दलों को सदन में जनता से जुड़े मुद्दे उठाने का पूरा मौका मिले।

उन्होंने कहा,“हम सदन में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे, मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में हुई धांधली जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। इसके अलावा देश की सुरक्षा और चीन की तरफ से जारी घुसपैठ और सीमा पर बढ़ती सुरक्षा की चुनौती, संसद भवन परिसर में स्थापित महापुरुषों की मूर्तियों को बेवजह उनकी जगहों से हटाने, किसान, मजदूर, मणिपुर जैसे मुद्दों चर्चा करने का पूरा प्रयास करेंगे।”

कांग्रेस नेता ने कहा,“सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार संविधान, इसके मूल्यों और परंपरा की हत्या कर रही है। सरकार संविधान विरोधी है और इसीलिए उसने बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति हटाई है क्योंकि वह संविधान निर्माता थे। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है, बेरोजगारी और महंगाई सरकार की नीतियों के कारण लगातार बढ़ रही है। जम्मू-कश्मीर, मणिपुर में जारी हिंसा जैसे कई मुद्दे हैं जो लोगों से जुड़े हैं और हम ये सब मुद्दे उठाएंगे।”

इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि सर्वदलीय बैठक में जनता दल-यूनाइटेड ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाया है। इसी तरह से एक रणनीति के तहत सरकार के घटक तेलुगू देशम पार्टी ने नहीं बल्कि वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उठाया है।

बैठक में सत्तारूढ़ भाजपा सहित 44 दलों के 55 नेताओं ने हिस्सा लिया। सरकार की ओर से श्री रिजिजू और श्री सिंह के अलावा राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा कुछ केन्द्रीय मंत्रियों ने हिस्सा लिया।

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