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इंदौर. नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा की उपस्थिति में नगर निगम एवं डब्ल्यूआरआई इंडिया के सहयोग से स्वच्छ निर्माण प्रथाओं और सी एंड डी अपशिष्ट प्रबंधन पर एक गोलमेज चर्चा और कार्यशाला ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की गई. इस अवसर पर अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन, अधीक्षण यंत्री श्री महेश शर्मा, समस्त भवन अधिकारी, भवन निरीक्षक व अन्य उपस्थित थे, इस अवसर पर आयुक्त श्री वर्मा द्वारा इंदौर के लिए स्वच्छ निर्माण पद्धतियां पत्रिका का विमोचन भी किया गया.
महापौर पुष्यमित्र भार्गव के तत्वाधान में डब्लूआरआई इंडिया के सहयोग से इंदौर में स्वच्छ निर्माण पद्धतियों पर हितधारक परामर्श का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बिल्डर्स, मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन कारपोरेशन लिमिटेड, मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, इंदौर विकास प्राधिकरण, आईआईटी इंदौर, नगर एवं ग्राम निवेश विभाग, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंदौर स्मार्ट सिटी, इंजीनियर और ठेकेदारों के साथ-साथ आईएमसी के विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भी भाग लिया. हितधारक परामर्श कार्यशाला में वायु प्रदूषण में निर्माण गतिविधियों के योगदान, स्वच्छ निर्माण प्रथाओं को अपनाने में आने वाली चुनौतियों और इन प्रथाओं से साइट स्टाफ और समग्र वायु गुणवत्ता के लिए लाभों पर विचार-विमर्श किया गया. महापौर के निर्देशन में निर्माण कार्यों से होने वाले धूल उत्सर्जन को कम करने के लिए इंदौर नगर निगम स्वच्छ निर्माण पद्धतियों से संबंधित दिशानिर्देश लाने की तैयारी कर रही है. ये दिशा निर्देश उन पद्धत्तियों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिनसे साइट स्टाफ, इंजीनियरों, ठेकेदारों, पर्यवेक्षकों को निर्माण प्रक्रिया के दौरान धूल उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही, यह निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी) अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों को भी हल करने की दिशा में करेगा. इस कार्यक्रम में निर्माण क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न निर्माण कार्यों से होनेवाले धूल के स्रोत एंव उनसे निपटने के सर्वोत्तम समाधानों को प्रस्तुत किया गया, जिन्हें इंदौर में लागू किया जा सकता है. निर्माण एंव सड? से उत्सर्जित होनेवाली धूल, गाडि?ों से होनेवाले उत्सर्जन, उद्द्योग इंदौर में वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारणों में से हैं.
रणनीति तैयार करने में मिलेगी मदद
कार्यशाला के दौरान सभी समूहों द्वारा अपने-अपने विभागों में निर्माण कार्य के दौरान धूल के विभिन्न स्रोतों और उनसे निपटने के लिए उपायों के बारे में चर्चा की जिसका निष्कर्ष महेश शर्मा, सुपरिंटेंड इंजीनियर, आईएमसी ने प्रस्तुत किया. अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा ने बताया कि खोदने और मिट्टी वापस भरने, तोड़-फोड़, कंक्रीटिंग और मिश्रण, पत्थर काटने, सतह की सफाई जैसे निर्माण कार्य धूल पैदा करते हैं. कुछ उपायों को अपनाकर धूल उत्सर्जन कम किया जा सकता है. डॉ. प्रकाश दोराईस्वामी, डायरेक्टर (एयर क्वालिटी), डब्ल्यूआरआई इंडिया ने कहा, इंदौर एक विकासशील शहर है और विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाएं निर्माण गतिविधियों में वृद्धि कर रही हैं. यह धूल उत्पन्न करती हैं और वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं. कार्यशाला से प्राप्त जानकारी इंदौर शहर के लिए व्यापक स्वच्छ निर्माण रणनीति तैयार करने में मदद करेगी.
विस्तृत गाइड लाइन जारी करेंगे : निगमायुक्त
आयुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि कार्यशाला स्वच्छ निर्माण पद्धतियों को अपनाने की दिशा में पहला कदम है, जो शहर को हवा को साफ़ रखने में सहायक होगा. इंदौर ने शहर की वायु गुणवत्ता प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए कई सक्रिय कदम उठाए हैं. हम जल्द ही निर्माण कार्यों से निकलनेवाली धूल को नियंत्रित करने के लिए एक विस्तृत गाइडलाइन जारी करेंगे. इन दिशा निर्देशों को हर निर्माण स्थलों पर लागू किया जायेगा और सभी संस्थानों को इसके पालन के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. इस कार्यशाला में विभागों और संस्थानों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण विचारों एंव सुझावों को विस्तृत गाइडलाइन में शामिल किया जायेगा. आयुक्त श्री वर्मा ने इस कार्यशाला के आयोजन के लिए डब्लूआरआई के प्रयासों की सराहना की.