नयी दिल्ली 18 जुलाई (वार्ता) केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंद्धी जीतन राम मांझी ने गुरूवार को कहा “ आज हम पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो गए हैं, बिचौलिए और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ आ गई हैं, हम कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ा रहे हैं, वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, इसका दुष्प्रभाव है। अब समय की मांग है कि एमएसएमई को बढ़ावा दिया जाए जिससे बेरोजगारी से परेशान लोगों को भी बचाया जा सकता है।”
श्री मांझी ने एमएसएमएई राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे के साथ एनएसआईसी के नए कौशल विकास प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर पर यह बात कही। ओखला में एनएसआईसी तकनीकी सेवा केंद्र (एनटीएससी) में नए कौशल विकास प्रशिक्षण का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में एमएसएमई सचिव एस.सी.एल. दास, जेएस-एसएमई मर्सी एपाओ और एनएसआईसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. एसएस आचार्य उपस्थित थे।
इस दौरान एनएसआईसी और ड्रोन डेस्टिनेशन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। इस करार का उद्देश्य कौशल विकास कार्यक्रमों में उन्नत ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण को एकीकृत करना है, जिससे एमएसएमई को तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल सके।
श्रीमती करंदलाजे ने कहा, “ हमारा ध्यान एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर है जो प्रतिभा को पोषित करे और नवाचार को बढ़ावा दे। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम इस दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक कदम हैं।”
श्री मांझी ने चयनित एनएसआईसी प्रशिक्षुओं को नियुक्ति पत्र वितरित करते हुए कहा, “ आज का कार्यक्रम एक कुशल और सशक्त भारत की ओर हमारी यात्रा में एक नया अध्याय शुरू करता है। ये युवा व्यक्ति हमारे भविष्य के पथप्रदर्शक हैं, और हम हर कदम पर उनका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
उन्होंने कहा कि जब हम कहते हैं कि प्राचीन भारत में स्वास्थ्य की चिंता नहीं थी, बेरोजगारी नहीं थी, दूध-दही बहता था। हम एमएसएमई के साथ ऐसा करते थे। आज हम पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो गए हैं, बिचौलिए और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ आ गई हैं, हम कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ा रहे हैं, वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, इसका दुष्प्रभाव है। अब समय की मांग है कि एमएसएमई को बढ़ावा दिया जाए। हम बेरोजगारी से परेशान लोगों को भी बचा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने मुझे यह कैबिनेट इसलिए दी है क्योंकि एमएसएमई उनका विजन है। हम लोन देंगे, सब्सिडी देंगे। इस पर हमने चर्चा की। हम सब कुछ एनएसआईसी के माध्यम से करेंगे। ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा।