जर्जर पाइप की वजह से आए दिन होते लीकेज, ब्रह्मपुरी कालोनी के पास फूटी मेन लाइन
सीहोर नवभारत न्यूज. -लगभग चार दशक पहले शहर में बिछी पार्वती पाइप लाइन समय के साथ जर्जर हो चुकी है. नतीजतन आए दिन लीकेज होते हैं और हजारों लीटर पेयजल नाहक बहकर बर्बाद हो जाता है. गुरुवार को ब्रह्मपुरी कालोनी के समीप मेन पाइपलाइन फूट गई थी तो अगले दिन शुक्रवार को लुनिया चौराहा के समीप लीकेज से पानी का झरना बहता रहा.
गौरतलब है कि सन 1980 के दशक में शहर की प्यास बुझाने के लिए पार्वती नदी से पाईपलाइन बिछाई गई थी. काहिरी से शहर तक बिछी पाइपलाइन चार दशक बाद पूरी तरह जर्जरावस्था में पहुंच चुकी है. आलम यह है कि रोजाना कहीं न कहीं लीकेज हो जाता है. सीमित संसाधनों के साथ नपा का अमला जब तक इसे सुधारकर दुरुस्त करता है तब तक हजारों लीटर पानी नाहक बह जाता है.
मानो फव्वारे से छूट रही हो फुहार
शुक्रवार को लुनिया चौराहा के समीप पेयजल की सप्लाई लाइन में लीकेज हो गया. इस दौरान पानी का फव्वारा सड़क तक पहुंच रहा था. जिससे वहां से गुजरने वाले वाहन चालक भीगने से बच नहीं सके. लोगों ने नपा को सूचित किया, लेकिन जब तक सप्लाई होती रही लीकेज बंद नहीं किया जा सका. नतीजतन हजारों लीटर पानी बहकर बर्बाद हो गया.
एक दिन पहले फूटी थी मेन पाइपलाइन
लुनिया चौराहा के समीप तीन दिन पहले सप्लाइ लाइन लीकेज हुई थी. नपा के अमले द्वारा उसे दुरस्त किया जा रहा था कि गुरुवार को ब्रह्मपुरी कालोनी के समीप मेन पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई. इससे काफी पानी बह निकला था. ऐसे में नपा के अमले को लुनिया चौराहे का मरम्मत कार्य अधूरा छोड़कर वहां जाना पड़ा था. हालांकि ब्रह्मपुरी कालोनी के समीप वाले लीकेज को अस्थायी तौर पर सुधार दिया गया है. संपूर्ण कार्य होने में एकाध दिन और लगेगा. ऐसे में लुनिया चौराहा के अलावा अन्य लीकेज को सुधारने में अभी दो से तीन दिन और लग सकते हैं. ऐसे में हजारों कंठों को तर करने वाला पानी बहता रहेगा.
इस बार गहरा सकता है जलसंकट
नियत समय से आने के बाद भी मानसून अब तक उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है. सावन के बाद भादो भी सूखा बीत रहा है. शुक्रवार तक जिले में महज 668. 8 मिलीमीटर बारिश ही हो सकी है. जबकि गत वर्ष आज के दिन तक 927.1 मिलीमीटर बारिश हो चुकी थी. इसी तरह सीहोर तहसील में तो महज 670.3 एमएम बारिश ही हो सकी है. गत वर्ष यह आंकड़ा 1113. 9 पर था. अगर मानसून ने लोगों की उम्मीदों को पूरा नहीं किया और झमाझम बारिश नहीं हुई तो निश्चित ही आगामी गर्मी के मौसम में लोगों को बूंद- बूंद पानी के लिए भटकने को मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि कम बारिश के चलते भगवानपुरा और जमोनिया तालाब अभी आठ से दस फीट तक खाली रह गए हैं. जिससे आगे चलकर शहर में पानी की किल्लत गहरा सकती है