ग्वालियर: लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर कुशल शासक, न्यायप्रिय, कूटनीतज्ञ, परमार्थी व सैन्य प्रतिभा की धनी थीं। उन्होंने प्रजा का आत्मबल जाग्रत कर उन्हें सशक्त और स्वावलंबी बनाया था। महेश्वर में टेक्सटाइल इंडस्ट्री की शुरुआत कर रोजगार उलब्ध कराया था। महिला सशक्तिकरण, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के साथ ही वह दीन दुखियों की मदद करने के लिए हर समय तत्पर रहती थीं।यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र के सह कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध ने जीवाजी विश्वविद्यालय के विधि विभाग के सभागार में आयोजित वक्ता कार्यशाला में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।
देवी अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी वर्ष आयोजन समिति ग्वालियर महानगर के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर विभाग संघचालक प्रहलाद सबनानी, मध्यभारत प्रांत आयोजन समिति की उपाध्यक्ष डॉ.प्रियंवदा भसीन, ग्वालियर महानगर आयोजन समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस उपेंद्र नाथ शर्मा मंचासीन रहे। मुख्य वक्ता मुक्तिबोध ने कहा कि आज इस बात की जरूरत है कि नई पीढ़ी को भारतीय नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित कराकर विकृत विमर्श को तोडऩा है। उन्होंने कहा कि प्रजा वत्सल अहिल्या बाई ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण किया था।
उन्होंनेदेश में कई मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार कराया था। साथ ही धर्मशालाएं, घाट, बावडिय़ां और सडक़ें बनवाईं थीं। उन्होंने अपनी हिम्मत और सूझ-बूझ से अपने राज्य को सशक्त बनाकर यह साबित किया कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। इसलिए सभी को लोकमाता अहिल्या बाई के जीवन से प्रेरणा लेकर देश हित में कार्य करने के लिए प्राण प्रण से जुट जाना चाहिए। तृतीय सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य यशवंत इंदापुरकर ने लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित रूप से आयोजित करने तथा लोकमाता अहिल्या बाई के जनकल्याणकारी कार्यों की जानकारी सभी लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया। इंदापुरकर से पहले डॉ.रवि अंबे, डॉ.चंद्रप्रताप सिंह, मदन भार्गव, डॉ.रामकिशोर उपाध्याय, डॉ.महिमा तारे, अनामिका एवं भानुप्रताप सिंह चौहान ने आयामशः की गई चर्चा के निष्कर्ष प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक संजय कौरव ने किया।