स्थानांतरण के विरूद्ध स्थगन आदेश में प्राचार्य उमावि विंध्यनगर के फर्जी हस्ताक्षर का मामला, आरटीआई से हुआ खुलासा
सिंगरौली : जनपद शिक्षा केन्द्र बैढ़न के बीआरसीसी एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है। इस बार अनियमितता नही बल्कि उच्च न्यायालय जबलपुर को गुमराह करने का मामला सामने आया है । आरोप लग रहा है कि एक प्रमाण पत्र में प्राचार्य का फर्जी हस्ताक्षर को न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। आरटीआई से मिली जानकारी से हर कोई हक्का-बक्का है।दरअसल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विंध्यनगर में पूर्व में पदस्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक फूलचन्द्र पटेल का स्थानांतरण 27 अगस्त 2021 को सतना जिले के हाटी विद्यालय में स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय भोपाल के द्वारा कर दिया गया था। जहां 6 सितम्बर 2021 को उमा शिक्षक को कार्य मुक्त भी कर दिया गया था। स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध फूलचन्द्र पटेल ने उच्च न्यायालय जबलपुर में वाद दायर किया।
जहां उच्च न्यायालय जबलपुर के विद्वान न्यायाधीश द्वारा स्थगन आदेश दे दिया गया था। उमा शिक्षक ने न्यायालय को बताया था कि शाउमावि विंध्यनगर में अंगे्रजी विषय के इकलौते शिक्षक हैं। स्थानांतरण से स्कूली बच्चों के पठन पाठन का कार्य प्रभावित होगा और इसका असर आगामी परीक्षा परिणामों पर होगा। श्री पटेल ने प्राचार्य की पद मुद्रा में प्रमाण पत्र भी इसी बात का दिया था। न्यायालय से इन्हीं बिन्दुओं के आधार पर मिला भी था। किन्तु जब पता चला की उक्त शिक्षक ने प्राचार्य की पद मुद्रा का प्रमाण पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया है। जिले के अधिकारियों के यहां शिकायत हुई। पिछले वर्ष तत्कालीन कलेक्टर ने इसकी जांच के लिए टीम गठित किया। योजना अधिकारी जिला शिक्षा कार्यालय एवं शासकीय कन्या उमावि बैढ़न के प्राचार्य ने उक्त शिकायतों का जांच किया।
जहां चौकाने वाला मामला सामने आया। जांच में पता चला की उमावि विंध्यनगर में अंग्रेजी विषय के एक अन्य शिक्षक मीनू त्रिपाठी भी हैं। यहां पर फूलचन्द्र ने न्यायालय को गलत जानकारी देकर गुमराह किया। वही प्राचार्य का प्रस्तुत प्रमाण पत्र भी फर्जी प्रतीत पाया गया है। प्रमाण पत्र में जारीकर्ता श्याम सिंह उमा शिक्षक ने नकार दिया है। उच्च न्यायालय में प्राचार्य के हस्ताक्षर का प्रस्तुत प्रमाण पत्र के तिथि 4 सितम्बर 2021 के दौरान श्याम सिंह उमाशि 31 अगस्त से 17 अक्टूबर 2021 तक मेडिकल अवकाश पर थे। इस दौरान श्याम सिंह के द्वारा कोई कार्य भी नही किया गया। इसकी लिखित जानकारी जांच टीम व जिला शिक्षा अधिकारी को दिया गया था। वही यह भी आरोप है कि न्यायालय के द्वारा केवल चार सप्ताह का स्थगन आदेश दिया गया था। फिर वे 4 जून 2022 तक विद्यालय में आते जाते रहे। फिलहाल जांच क मेटी ने अपने जांच प्रतिवेदन में मौजूदा बीआरसीसी फूलचन्द्र पटेल के विरूद्ध कई गंभीर आरोप लगाकर आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के पास करीब 9 महीने से भेजा है। लेकिन अभी तक बीआरसीसी पर कार्रवाई नही की गई है। जिसपर एक आरटीआई कार्यकर्ता ने नाराजगी जाहिर करते हुये कई सवाल खड़ा किया है।
आरटीआई से हुआ खुलासा
मौजूदा बीआरसीसी बैढ़न लगातार किसी न किसी मामले को लेकर चर्चाओं में बने रहते हैं। लेकिन इस बार का मामला बीआरसीसी की मुश्किले बढ़ा सकती है। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत ली गई जानकारी से बीआरसीसी के काले कारनामों का बड़ा पर्दापास हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता का आरोप है कि जो बीआरसीसी उच्च न्यायालय को गुमराह कर प्राचार्य के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सकता है। ऐसे में बीआरसीसी अन्य सरकारी कार्यों को कितने ईमानदारी से करते होंगे। इसी से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
आयुक्त लोक शिक्षण के यहां जांच प्रतिवेदन ठण्डे बस्ते में
जानकारी में बताया गया है कि जांच टीम के द्वारा अपना जांच प्रतिवेदन जिला शिक्षा अधिकारी के यहां प्रस्तुत कर दिया था। जिसमें जांच के दौरान उमा शिक्षक फलचन्द्र पटेल पर कई गंभीर आरोप पाए गये थे। उक्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा पिछले वर्ष 27 अक्टूबर को आयुक्त लोक शिक्षण लोक संचालनालय बल्लव भवन भोपाल के पास व अनुशासनात्मक कार्रवाई किये जाने प्रस्ताव भेजा था। करीब 9 महीने बाद भी लोक शिक्षण संचालनालय के यहां से भी मौजूदा बीआरसीसी के विरूद्ध कार्रवाई न होने पर मामला उच्च न्यायालय में ले जाने की तैयारी है।