सियासत
अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में 10 जुलाई बुधवार को मतदान है। यहां यदि कांग्रेस जीत गई तो तो ठीक अन्यथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं , ऐसी चर्चा राजनीतिक गलियारों में हो रही है ।यहां चुनाव की सारी कमान कमलनाथ ने संभाल रखी थी। प्रत्याशी का चयन भी उन्होंने ही किया है। यदि कांग्रेस अमरवाड़ा में जीतती है तो इसका पूरा श्रेय कमलनाथ के खाते में जाएगा लेकिन यदि यहां पराजय मिली तो हार का ठीकरा जीतू पटवारी पर फूटेगा यह भी तय है। भाजपा के लिए छिंदवाड़ा ही ऐसा गढ़ रहा है, जिसे पार्टी एक अपवाद छोड़ दें तो कभी भेद नहीं पाई है। 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा जिले की सभी सातों सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस के क्लीन स्वीप का कारण यह था कि दोनों विधानसभा चुनाव में खुद कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे।
जाहिर है छिंदवाड़ा की जनता चाहती थी कि कमलनाथ मुख्यमंत्री बनें।इसी वजह से झोली भर भर के वोट कांग्रेस को मिले लेकिन लोकसभा चुनाव में स्थिति बदल गई क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के कारण छिंदवाड़ा के जनता को लगा कि डबल इंजन की सत्ता के साथ रहने में ही फायदा है। इसी वजह से नकुलनाथ जैसे हाई प्रोफाइल कैंडिडेट को विवेक बंटी साहू जैसे लो प्रोफाइल नेता ने सवा लाख के लगभग मतों से हरा दिया। जाहिर है प्रदेश की राजनीति के लिए अमरवाड़ा के विधानसभा उपचुनाव का राजनीतिक महत्व केवल अमरवाड़ा तक सीमित नहीं रहने वाला है बल्कि इसके प्रभाव पूरे प्रदेश पर पड़ेंगे। खास तौर पर कांग्रेस की राजनीति अमरवाड़ा के चुनाव से प्रभावित होने वाली है।
अमरवाड़ा में भाजपा के राजा कमलेश शाह और कांग्रेस के संत इनावती परिवार के आमने-सामने आने और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के प्रत्याशी देव रावेन भलावी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।इस क्षेत्र के गोंड आदिवासी आज भी शाह परिवार के वंशज को अपना राजा मानते हैं। वहीं, कांग्रेस ने धीरन शाह इनावती को अपना प्रत्याशी बनाया है। 35 वर्षीय धीरनशाह गोंड आदिवासी समाज की आस्था के केंद्र आंचल कुंड धाम की तीसरी पीढ़ी के संत सुखरामदास के बेटे हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने युवा चेहरे देवीराम उर्फ देव रावेन भलावी को प्रत्याशी बनाया है। अमरवाड़ा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का अच्छा प्रभाव है।