मुंबई 07 जुलाई (वार्ता) अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की टिप्पणी से ब्याज दर में कटौती शुरू होने की एक बार फिर उम्मीद जगने से विश्व बाजार में आई तेजी से उत्साहित निवेशकों की स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली की बदौलत बीते सप्ताह एक प्रतिशत से अधिक चढ़े घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह वैश्विक रुख के साथ ही कंपनियों की पहली तिमाही के नतीजे का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 963.87 अंक अर्थात् 1.22 प्रतिशत की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 79996.60 अंक पर पहुंच गया।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 313.25 अंक यानी 1.3 प्रतिशत मजबूत होकर 24323.85 अंक हो गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों के मुकाबले बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में लिवाली की रफ्तार अधिक तेज रही।
इससे मिडकैप 1279.5 अंक अर्थात 2.8 प्रतिशत उछलकर सप्ताहांत पर 47437.85 अंक और स्मॉलकैप 2023.55 अंक यानी 3.9 प्रतिशत की उड़ान भरकर 54153.96 अंक पर पहुंच गया।
विश्लेषकों के अनुसार, मानसून की प्रगति और आगामी केंद्रीय बजट से सभी के लिए और बेहतर होने की उम्मीद में घरेलू बाजार में तेजी बरकरार रही।
वैश्विक स्तर पर, अमेरिकी पीसीई मुद्रास्फीति में कमी से सितंबर में फेड की ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
अमेरिका में महंगाई का दबाव कम होने तथा 10-वर्षीय बांड यील्ड में उल्लेखनीय गिरावट के कारण आईटी और फार्मा जैसे क्षेत्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया।
हालांकि बाजार अब कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के परिणाम आने के सीजन में प्रवेश कर रहा है और अगले सप्ताह इसकी शुरुआत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टीसीएस से होगी, इसलिए बेहतर नतीजों की उम्मीद है।
निवेशक इस क्षेत्र के भविष्य के बारे में जानकारी के लिए कंपनी प्रबंधन की टिप्पणियों पर बारीकी से नजर रखेंगे।
कुल मिलाकर पहली तिमाही की उम्मीदें मंद बनी हुई हैं लेकिन हाल के उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक और रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लक्ष्य को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत करना, पहली तिमाही के लिए 7.3 प्रतिशत का पूर्वानुमान तथा वैश्विक मुद्रास्फीति में कमी, कमजोर कॉर्पोरेट परिणामों के पड़ने वाले असर की संभावना को कम कर सकते हैं।