अब नीति आयोग से मंजूरी की आस, समिति ने अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मांगी मदद

खरगोन: निमाड़- मालवा की बहुचर्चित मांग मनमाड इंदौर रेल मार्ग को लेकर समिति के प्रयास जारी है। संघर्ष समिति प्रमुख मनोज मराठे ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य से मुलाकात कर मनमाड़- इंदौर रेल परियोजनाओं को लेकर चर्चा कर इसे जल्द स्वीकृति दिलाने की मांग की। मराठे ने प्रमुख मराठे ने आर्य को परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना की डीपीआर बनकर तैयार हो चुकी है।

अब नीति आयोग से मंजूरी की आवश्यकता है। उसकी मंजूरी के बाद मंत्रालय से वित्तीय स्वीकृति अनिवार्य है, जिसके लिए आपका सहयोग चाहिए। परियोजना को लेकर मनमाड इंदौर से जुड़े पश्चिम रेलवे के अधिकारी समीर कुमार से मिली जानकारी के अनुसार इस परियोजना की फाईनल लोकेशन सर्वे की डीपीआर मतलब डीटियल प्रोजेक्ट्स रिपोर्ट रेलवे को भेज दी गई है। रेलवे द्वारा परीक्षण के लिए इस रिपोर्ट को नीति आयोग को भेजी है। नीति आयोग से परीक्षण के बाद उचित मंजूरी मिलने पर इस परियोजना वित्त मंत्रालय से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वित्तिय मंजूरी मिलने पर राज्य सरकारों के माध्यम से जमीन अधिकरण का काम तत्काल शुरू हो जाएगा। 90 प्रतिशत से अधिक जमीन अधिग्रहण का काम पूरा होने पर निर्माण कार्य के टेंडर जारी होंगे।

श्री मराठे ने बताया की अब मनमाड इंदौर रेलवे परियोजना की अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार जो 10 हजार करोड से बढ़कर 22हजार करोड़ पर पहुंच चुकी है।
इस ट्रैक के बनने से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के छह जिलों यानी इंदौर, धार, खरगोन, बड़वानी, धुले और नासिक को फायदा होगा। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 22,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होगी। इंदौर.मनमाड़ रेलवे लाइन पर ठोस प्रगति हुई है। इंदौर तथा मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों के लिए यह प्रगति की रेल साबित होगी। इस ट्रैक के बनने से सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को फायदा मिलेगा।इंदौर से मुंबई एवं दक्षिण के राज्यों के बीच कनेक्टिविटी सुगम होगी।
ऐसे आई काम में तेजी
इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की थी। इंदौर.मनमाड रेलवे लाइन का फाइनल लोकेशन सर्वे पूर्ण होकर इसकी डीपीआर रेलवे ने मंजूर कर नीति आयोग को प्ररिक्षण हेतु भेजी गयी है।
आधारभूत संरचना के लिए रेलवे परियोजना जरुरी
अध्यक्ष आर्य ने समिति से कहा कि यह परियोजना नासिक से मनमाड तक अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों से गुजरती है। आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए आधारभूत संरचना के तहत रेलवे जैसे परियोजना का होना अनिवार्य है। इसकी संपूर्ण मंजूरी के लिए पूरा प्रयास करेंगे।
रिपोर्ट में निम्न चीजें प्रस्तावित हैं
. इंदौर मनमाड़ रेल लाइन कुल 268 किलोमीटर की होगी। इसमें धूलिया से नोएडा ने की 50 किलोमीटर की दूरी को कम किया गया इसके चलते दूरी 268 किलोमीटर हो गई
. धुले.मनमाड़ के बीच 50 किलोमीटर पर काम चल रहा है।
. बचे हुए 218 किलोमीटर के लिए 2ए200 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी।
. इसी रूट पर 300 छोटे.बड़े ब्रिज बनेंगे।
. 20 किलोमीटर से ज्यादा लंबी 9 टनल बनेंगी।
. इस मार्ग पर 34 स्टेशन बनेंगे।

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