मोरवा विस्थापन एवं पुनर्वास को लेकर दोनों मंचों ने एनसीएल प्रबंधन के साथ की हुई बैठक, नही निकला कोई नतीजा, लोगों में दिखी मायूसी
नवभारत न्यूज
सिंगरौली 2 जुलाई। आज दिन मंगलवार को पुनर्स्थांपना मंच की एनसीएल प्रबंधन के साथ हुई बैठक में प्रबंधन का रूख स्पष्ट नही होने से लोगों में मायूसी दिखाई दे रही है।
भूमि व भवन के मूल्यांकन के लिए गणना पत्रक में एनसीएल प्रबंधन इसी जिले में रेलवे व राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि अधिग्रहण में जो नियम लार एक्ट के तहत रेलवे व स्थानीय शासन प्रशासन लागू करते हैं। एनसीएल प्रबंधन वह ना मानते हुए अपने पुराने नियमों को लागू किये जाने की मंशा रखता हैं व अपना स्पष्ट रुख नहीं रख रहा हैं। आर एन्ड आर एक्ट के तहत शहर का पुनर्स्थापन स्थल कँहा होगा उसकी स्थिति भी अभी अस्पष्ट हैं। विस्थापित व विस्थापन प्रभावित कीन्हे माना जायेगा इसके बारे में भी प्रबंधन के लोगो के मध्य स्पष्ट जानकारी का अभाव हैं। जिससे की बड़ी संख्या मे यंहा पर अनेको संस्थाओं में कार्यरत लोग जो की किराये के मकान में रहते हैं। उनके बारे में एनसीएल क्या करेगा इसकी स्थिति भी अस्पष्ट हैं। पुनर्स्थापन स्थल पर प्लाट ना लेने की स्थिति में प्लाट के बदले आज पुन: 1,37,000 रूपये देने की बात कहना मंच के सदस्यों को स्वीकार नहीं हैं। सिंगरौली के उद्यमियों को उनके उद्योग को पुन: स्थापित करने मे क्या सहयोग मिलेगा। भूमि कँहा मिल सकेगी अभी इसकी कोई रुपरेखा एनसीएल ने तैयार नहीं की हैं। जमीन के मूल्यांकन के लिए वार्ड 10 जो की अब अस्तित्व में ही नहीं हैं उसका 10 साल पुराना रेट सभी वार्डो के मूल्यांकन के लिए देना चाहती हैं। जबकि पुनर्स्थापन मंच सिंगरौली ननि के वर्तमान वर्ष 2024 के अधिकतम मूल्य की तीन रजिस्ट्री का औसत के आधार पर भूमि का मूल्यांकन चाहती हैं। एनसीएल अपना रुख स्पष्ट करने के पूर्व हमारे भूमि व भवन का सर्वे व नापी का कार्य प्रारम्भ करना चाहता हैं। उक्त सर्वे रिपोर्ट पर भूमि मालिक जब यह लिखेगा कि मैं उक्त नापी से संतुष्ट हूँ उसके बाद हमारे पाले से स्थिति निकल जाएगी व एनसीएल प्रबंधन औने पौने दाम पर मूल्यांकन कर राशि हमारे खाते में डालेगा अथवा ट्रिब्यूनल मे डाल देगा और वर्षो हम अपने मकान का मुआवजा पाने के लिए परेशान होंगे। उक्त स्थिति आज भी वार्ड क्रमांक 10 के अनेको रहवासियों की आज भी हैं जो की खदान में ही दिन-रात पड़े रहते हैं और उनकी कोई खोज खबर लेने वाला नहीं हैं। उक्त स्थिति हम सभी की ना होए इसलिए जब तक एनसीएल प्रबंधन उपरोक्त समस्त बिन्दुओं पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करता तब तक पुनर्स्थापन मंच नापी की प्रक्रिया का कड़ा विरोध करेगा।