चंडीगढ़, 01 जुलाई (वार्ता) कांग्रेस महासचिव एवं सांसद कुमारी सैलजा ने सोमवार को आरोप लगाया कि आज से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन कानून लागू हो रहे हैं, वे 146 सांसदों को निलंबित कर जबरन पारित किये गये हैं और मांग की कि इस विधेयक को फिर से संसद में पेश कर उस पर बहस करवाकर पारित करवाया जाये।
मीडिया को जारी बयान में काँग्रेस नेता ने कहा कि आईपीसी सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह जो तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो रहे हैं, उन्हें तुरंत ही रोका जाये। उन्होंने आरोप लगाया कि नये आपराधिक कानून भारत को कल्याणकारी राज्य से पुलिस राज्य बनाने की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा हो उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों, न्यायिक अधिकारियों और कानूनी पेशेवरों के लिये आगे बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये कानून किसी न किसी समय बड़ी संख्या में नागरिकों को प्रभावित करेंगे, जिस तरह से सरकार ने इन कानूनों को संसद में लाने के लिये जल्दबाजी की और जिस तरह से इसे लागू किया, वह लोकतंत्र में वांछनीय नहीं है। इन कानूनों पर न तो संसद समिति में पर्याप्त रूप से चर्चा की गयी और न ही सदन में व्यापक रूप से चर्चा हुई, यहां तक कि हितधारकों के साथ कोई परामर्श भी नहीं किया गया।