दो हाथियों के विचरण से ग्रामीणों को हो रहा नुकसान

वन विभाग दे रहा आश्वासन,बढ़ रहा आक्रोश

अनूपपुर: जिले के जैतहरी एवं अनूपपुर वन परिक्षेत्र में लगभग एक पखवाड़े से दो हाथी निरंतर विचरण कर रहे है जो रात भर ग्रामीणों के घरों, खेतों एवं बांड़ी में लगे, विभिन्न प्रकार के अनाज, सब्जियों के साथ घरों में तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचा रहे हैं तथा दिन होते ही आसपास के जंगलों में विश्राम करने चले जाते हैं, यह प्रक्रिया निरंतर चलने के कारण हाथियों के विचरण से प्रभावित ग्रामीण रात-रात जागरण कर अपने घर, खेत, वाड़ी, मोहल्ला एवं गांव की रखवाली कर रहें हैं। ग्रामीणों के परिवारों के सदस्य जिसमें वृद्ध, महिला, पुरुष, महिलाएं एवं बच्चे रात-रात भर परेशान रहते हैं जिससे ग्रामीणों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। दूसरी ऒर वन विभाग के द्वारा हाथियों की निगरानी पर निरंतर नजर रखते हुए आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए ग्रामीणों के साथ काम कर रहे हैं।

वन विभाग के बड़े अधिकारी स्थल का निरीक्षण कर रहे हैं। वन अधिकारियों से ग्रामीण जन अपनी व्यथा सुनाते हुए हाथियों को जिले से बाहर कराए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन एवं विभिन्न प्रकार के प्रयोग होते ही दिख रहे हैं लेकिन किसी भी तरह का सार्थक परिणाम नहीं निकल पा रहे हैं। दोनों हाथी विगत तीन दिनों में 8 से 10 किलोमीटर की परिधि में विचरण करते हुए गुरुवार की सुबह से अनूपपुर वन परिक्षेत्र तथा थाना क्षेत्र के दुधमनिया के बीट के कक्ष क्रमांक 357 एवं 358 में विश्राम कर रहा था। कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी के निर्देश पर बैंगलोर से हाथी विशेषज्ञ रुद्रा आदित्य द्वारा बुधवार की शाम वन परिक्षेत्र जैतहरी के गोबरी बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक आर 302 जहां से हाथी दिन में विश्राम करने बाद देर शाम एवं रात को जंगल से निकल कर गोबरी, बांका, केकरपानी, बेलिया फाटक की ओर खाने की तलाश के लिए जाते हैं यहां से हाथियों के ग्रामीण अंचलों में प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से जूट के बोरे मे मिर्ची डालकर मशाल बना कर, टीन में कन्डे, मिर्ची डालकर मिर्चीयुक्त धुआं किए जाने का प्रयोग किया गया.

जिससे हाथी कक्ष क्रमांक 302 के स्थान पर बढौनाखार जंगल में दिन में विश्राम करने बाद जैतहरी राजेंद्रग्राम मुख्य मार्ग के मध्य भूपेंद्र सिंह के केसर के पास से मुख्यमार्ग पर चलते हुए गोबरार नाला के समीप जंगल में जाकर कुछ देर ठहरने बाद फिर से मुख्य मार्ग पर चलते हुए ठाकुर बाबा के पीछे के जंगल में जाकर विजय सिंह के घर के पास से निकाल कर गोबरी तथा ठेंगरहा तालाब में पानी पीने के बाद ग्रामीणों एवं वन विभाग की टोली द्वारा भगाए जाने पर ठेंगरहा – पगना मुख्य मार्ग पर चलते हुए देर रात ठेंगरहा गांव में शकुंतला सिंह के कच्चे मकान को दो स्थानों पर तोड़कर अंदर रखे धान को निकाल कर खाते हुए निरंतर एक घंटे तक उनके घर को निशाना बनाते रहे। इस बीच जूट की बोरी में मिर्ची डालकर बनाए गए मशाल एवं पटाखा के माध्यम से भगाए जाने पर कुछ दूर जाकर फिर वापस आते जाते रहे। तेजी से भगाए जाने पर यह दोनों हाथी कुदुरझोड़ी नाला पार कर रात एक बजे अनूपपुर वन परिक्षेत्र एवं थाना के बांका गांव में जंगल में बसे महदोले सिंह के घर के पास पहुंचकर बाड़ी में लगा केला खाने बाद छन्दू सिंह के घर की परछी की मिट्टी की दीवाल तोड़कर परछी में रखा एक बोरी सरई का बीज खाते हुए सुबह होते-होते दुधमनिया कक्ष क्रमांक 378 के कूप नंबर तीन राजामचान के समीप पहुंचकर विश्राम कर रहे हैं।

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