संविधान में नूरा कुश्ती का खेल कर रहा है सत्ता पक्ष और विपक्ष: मायावती

लखनऊ, 25 जून (वार्ता) संसद में संविधान को लेकर छिड़ी बहस को दिखावटी करार देते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने अन्दर-अन्दर मिलकर संविधान को अनेकों संशोधनों के जरिये काफी हद तक जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी बना दिया है।

सुश्री मायावती ने यहां जारी बयान में कहा कि इसमे कोई सन्देह नहीं है कि केन्द्र में सत्ता व विपक्ष द्वारा अब संसद के अन्दर व बाहर भी संविधान की कापी दिखाने की होड में ये लोग सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे लग रहे है तथा इनकी सोच भी लगभग एक जैसी ही लग रही है। इन दोनों ने अन्दर-अन्दर मिलकर अब इस संविधान को अनेकों संशोधनों के जरिये इसे काफी हद तक जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी संविधान बना दिया है।

उन्होने कहा “ इन दोनों की अन्दरूनी मिली-भगत होने की बात मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि इन दोनों की भी खासकर कांग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियों की भी जिन-जिन राज्यों में सरकारें चल रही है। तो वे सभी राज्य सरकारे वहाँ के लोगों की खासकर गरीबी, बेरोजगारी व मंहगाई आदि को दूर करने में बुरी तरह से विफल हो गई है और अब उन पर से जनता का ध्यान बांटने के लिए,इन दोनों की मिली-भगत से ही संविधान बचाने का नाटक किया जा रहा है, जिससे देश की जनता को जरूर सावधान रहना है।”

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सत्ता व विपक्ष अपने-अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए, यहाँ भारतीय संविधान के साथ जो खिलवाड़ कर रहे है। तो यह कतई भी उचित नहीं है। जबकि इन दोनों ने अर्थात् सत्ता व विपक्ष ने अब तक अन्दर-अन्दर मिलकर संविधान में इतने ज्यादा संशोधन कर दिये है, कि अब यह बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की मन्सा वाला समतामूलक, धर्म-निरपेक्ष एवं बहुजन हिताय वाला संविधान नहीं रहा है बल्कि अधिकांश अब यह जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी संविधान ही बनकर रह गया है।

उन्होने कहा कि सत्ता व विपक्ष के जातिवादी मानसिकता के लोग बाबा साहेब की बदौलत से मिले आरक्षण को खत्म करना चाहते है या फिर इसे निष्प्रभावी बनाके इन्हें यहाँ ये सभी पार्टियाँ इसका पूरा लाभ नहीं देना चाहती है। यह बात भी सर्वविदित है कि इस सन्दर्भ में खासकर कांग्रेस व बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों ने अन्दर-अन्दर मिलकर यहाँ अति-पिछड़ो के आरक्षण को लेकर आई मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को भी अपनी सरकारों में लागू नहीं होने दिया था लेकिन वीपी सिंह की सरकार में इसके लागू होने पर भी तब फिर इन दोनों पार्टियों ने पूरे देश में इसका पर्दे के पीछे से काफी डटकर विरोध भी कराया था। यह सब किसी से छिपा नहीं है।

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