दोपहर बाद बिगड़ा मौसम, जिले के कई हिस्सो में हुई बूंदाबांदी, किसान फसलो को लेकर चिंतित
नवभारत न्यूज
रीवा, 20 मार्च, फाल्गुन के महीने में लगातार मौसम बदल रहा है. कभी बादल आ रहे है तो कभी धूप हो रही है. एक बार फिर से आसमान में बादलो ने डऱा जमाया है जिसको लेकर किसानो की चिंता बढ़ गई है. दोपहर बाद जिले के कई हिस्सो में बूंदाबांदी हुई. वही मनगवां क्षेत्र के आधा दर्जन गांवो में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई. जिससे दलहनी फसलो सहित अन्य फसलो को नुकसान हुआ है.
सुबह से ही मौसम में ठण्डक थी, अन्य दिनो के अपेक्षा तापमान कम था. लेकिन दोपहर हुई बूंदाबांदी एवं ओलावृष्टि से शाम को मौसम ठण्ड हो गया. नयूनतम तापमान में भी गिरावट आई है. गौरतलब है कि मौसम विभाग ने पहले से ही ओलावृष्टि एवं बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया था. सुबह अच्छी खासी धूप थी और दोपहर अचानक बादल आये और जिले के कई हिस्सो में बूंदाबांदी हुई. मौसम के बिगड़े मिजाज को लेकर किसान चिंतित है. अरब सागर बंगाल की खाड़ी में लगातार नमी आने के कारण पूर्वी मध्य प्रदेश में पिछले चार दिन से मौसम खराब है. मंगलवार को जहां सिंगरौली में ओलावृष्टि हुई, वही बुधवार को रीवा के मनगवां क्षेत्र के आधा दर्जन गांवो में ओलावृष्टि के साथ बारिश हुई है. जिसके कारण चना, मसूर, अरहर, मटर, राई की फसल को नुकसान हुआ है. वही गेंहू की फसल को भी ओलावृष्टि से छति हुई है. यहां के कांटी, डेल्ही, सेमरी, पटेहरा सहित अन्य गांवो में ओलावृष्टि हुई है. अभी दो दिन तक बारिश होने की संभावना जताई जा रही है. इस बार जिले भर में अच्छी खासी फसल है, लेकिन जिस तरह से मौसम का मिजाज है उसको लेकर किसान चिंतित है. अगर जिले के अन्य हिस्सो में ओलावृष्टि और बारिश हुई तो किसानो की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जायेगी. गेंहू की फसल भी पकने के कगार पर है जबकि चना, मसूर और राई की फसल लगभग पक कर तैयार है. फाल्गुन के महीने में जिस तरह से बारिश और ओलावृष्टि हो रही है उसको लेकर किसान परेशान है. दरअसल इस बार खरीफ की फसल से किसान को नुकसान हुआ और अब प्रकृति की मार फिर पड़ रही है.
दलहनी फसलो के लिये ज्यादा नुकसान
कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अखिलेश कुमार ने बताया कि बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर से लगातार नमी आने के कारण प्रदेश में मौसम बिगड़ा हुआ है. इस समय दलहनी फसल पूरी तरह से पक चुकी है और बारिश एवं ओलावृष्टि सभी फसलो के लिये नुकसान दायक है, खासकर दलहनी फसलो के लिये. जो फसल पक चुकी है उसे काट कर किसान सुरिक्षत कर ले.