वीरांगना के पराक्रम को दुनिया के सामने लाएंगे: मोहन

सीएम बोले: रानी दुर्गावती ने बाज बहादुर के दाँत खट्टे किए, अकबर की सेना को धूल चटाई

 

घोषणा: एयरपोर्ट-फ्लाइओवर रानी दुर्गावती के नाम से जाना जायेगा

 

जबलपुर। 500 वर्ष का इतिहास रानी दुर्गावती के अदम्य शौर्य एवं साहस का प्रतीक है। गर्व की बात है कि वीरांगना रानी दुर्गावती ने अपने पराक्रम से शेरशाह सूरी एवं मालवा के शासक बाज बहादुर के भी दाँत खट्टे किए। उन्होंने अपने राज्य की रक्षा करने के लिए न सिर्फ अपने बलबूते पर 52 युद्ध लड़े बल्कि मुगलकाल के शासक अकबर की सेना को तीन बार धूल चटाई। उनके इस शौर्य एवं पराक्रम को दुनिया के सामने लाने की आवश्यकता है। चुनाव के बाद अब हर माह उत्सव होंगे जिसमें हम वीरांगना रानी दुर्गावती की गाथा पूरी दुनिया के सामने ले जाएंगे। वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरगाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ ही विभिन्न सेमिनार कार्यक्रमों के माध्यम से इनके जीवन को समाज के सामने लाया जाएगा। यह बातें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड जबलपुर में रानी दुर्गावती के 461 वें बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित पुण्य स्मरण समारोह में कहीं। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर से युद्ध के दौरान रानी दुर्गावती की दूरदर्शिता का वर्णन भी किया। उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती ने यह पहले ही भाँप लिया था कि अकबर द्वारा युद्ध में तोपों का प्रयोग किया जा रहा है इसके लिए उससे लडऩे में हमें रात्रि में भी युद्ध करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाइओवर का नाम रानी दुर्गावती के नाम पर किए जाने की घोषणा की। साथ ही जबलपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर किये जाने के लिये भारत सरकार को उक्त आशय का प्रस्ताव भेजा जायेगा।

 

जो अहमियत मिलनी थी वह नहीं मिली-

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये कहा कि रानी दुर्गावती एक रानी के साथ ही माँ के रूप में पूजी जाती हैं। क्योंकि उन्होंने समाज के सभी वर्गो के लिये कल्याणकारी योजनायें बनाई। उन्होंने अपने सहयोगी के नाम से अधारताल, सहेली के नाम पर जबलपुर में चेरीताल बनवाया। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत तालाबों की सफ़ाई एवं जीर्णोद्धार का कार्य समूचे प्रदेश में 30 जून तक किया जाएगा। भारतीय इतिहास में उनके द्वारा किए गए इन कार्यों को जो अहमियत मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली। उनके प्रति सम्मान और इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार द्वारा पहली कैबिनेट जबलपुर में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। रानी दुर्गावती के जन्मदिवस 5 अक्टूबर 2024 तक यह जन्म शताब्दी के कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे जिसके अंतर्गत हर माह आयोजन भी किये जायेंगे।

5 लाख का पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि सरकार आदिवासी वर्ग के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। आदिवासी वर्ग से संबंध रखने वाली देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू महिला शक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। रानी दुर्गावती के जीवन से संबंधित विविध पक्षों को सामने लाने के लिये 5 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान करने का भी निर्णय लिया है।

अद्भुत प्रस्तुति, प्रदर्शनी का अवलोकन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जबलपुर के कलाकारों द्वारा रानी दुर्गावती के जीवन चरित्र की अद्भुत प्रस्तुति करने पर कलाकारों को धन्यवाद भी प्रेषित किया। उन्होंने रानी दुर्गावती के जीवन चरित्र से जुड़ी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

 

संपूर्ण विश्व में सुशासन – जल प्रबंधन की गूंज: सिंह

प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि  रानी दुर्गावती के सुशासन और जल प्रबंधन की गूंज संपूर्ण विश्व में है। रानी दुर्गावती ने 23 हजार गांवों को चिन्हित किया था। इन गांवों में समयानुसार होने वाली खेती की जानकारी थी। वह किसानों के साथ खेती के संबंध में निर्णय भी करतीं थीं। उन्होंने कहा कि जितने भी युद्ध जीती थी उनकी स्मृति में अपने सहयोगियों के नाम पर तालाब बनाकर जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करती थीं। सुशासन और जल प्रबंधन के लिये वह हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगी।

 

शहादत पर हमें गर्व: प्रहलाद

पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि आज का दिन वीरांगना रानी दुर्गावती को नमन करने का दिन है। उनकी शहादत पर हमें गर्व है लेकिन यह दिन हमें हमारी संस्कृति और जमीन को रौंदने वाले लोगों की क्रूरता के इतिहास का स्मरण भी कराता है। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग ई.रमेश कुमार ने रानी दुर्गावती की पेंटिंग और पारितोष वर्मा द्वारा रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित पुस्तक वीरांगना दुर्गावती भेंट की।

समाधि स्थल पर पहुंचकर रानी को किया नमन

गोंडवाना साम्राज्य की महारानी अदम्य शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान की प्रतीक वीरांगना रानी दुर्गावती के 461 वें बलिदान पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यहाँ नर्रई नाला स्थित समाधि स्थल पहुँचकर पूजा-अर्चना की एवं रानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने समाधि स्थल पर रानी दुर्गावती अमर रहे के नारों के बीच रानी की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया। समाधि स्थल पर पौधे रोपे। रानी की समाधि पर पूजा और श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री ने समाधि स्थल पर ही रानी दुर्गावती के सुपुत्र वीरनारायण को भी पुष्पांजलि अर्पित की। डॉ यादव ने आदिवासी समाज के आराध्य बड़ादेव की पूजा अर्चना की।

 

मादल की थाप पर सीएम ने किया नृत्य

समाधि स्थल पर मुख्यमंत्री का स्वागत बैगा आदिवासी नर्तक दल ने बैगा नाचा नृत्य से किया। मुख्यमंत्री को आदिवासी नर्तकों ने खुमरी पहनाई। डॉ यादव भी इस मौके पर कुछ अलग अंदाज में नजर आये। उन्होंने मोहगांव, मंडला से आये इन आदिवासी नर्तकों के साथ मादल की थाप पर नृत्य किया । समाधि स्थल से प्रस्थान करते समय मुख्यमंत्री डॉ यादव ने बैगा नर्तक दल के सदस्यों के साथ नगाड़ा भी बजाया। वे नर्तक दल के सदस्यों से बड़ी आत्मीयता से मिले। उन्होंने दल में शामिल कलाकारों को पाँच-पाँच हजार रुपये देने की घोषणा भी की।

ये रहे उपस्थित

इस दौरान राज्य सभा सांसद श्रीमती सुमित्रा वाल्मीक,  महापौर जगत बहादुर अन्नू, विधायक अजय विश्नोई, सुशील इंदू तिवारी, अशोक रोहाणी, डॉ. अभिलाष पांडे, संतोष बरकड़े, नीरज सिंह के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती आशा मुकेश गोंटिया सहित अन्य जनप्रतिनधि व कमिश्नर अभय वर्मा, आईजी अनिल कुशवाहा, कलेक्टर दीपक सक्सेना, पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह सहित अन्य अधिकारी व बड़ी तादाद में जन मानस उपस्थित थे।

 

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