नयी दिल्ली 24 जून (वार्ता) केंद्रीय निजी सुरक्षा उद्योग संघ (कैप्सि) ने वेतन अधिनियम संहिता के प्रावधानों में कथित विसंगति को लेकर चिंता जताई है।
कैप्सि ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इस विसंगति ने प्रमुख नियोक्ताओं और ठेकेदारों के बीच भुगतान प्रक्रिया में असंतुलन पैदा कर दिया है, जिससे देश भर में सेवा प्रदाताओं के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कैप्सि ने इस संबंध में प्रधानमंत्री और श्रम मंत्री को ज्ञापन सौंपा है जिसमें उनसे तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया गया है।
यह मुद्दा सेवा प्रदाताओं, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमईएस) पर एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ डालता है, और इसमें तुरंत हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। यदि इसका समाधान नहीं किया जाता है, तो भुगतान प्रावधानों में संशोधन नहीं किए जाने पर प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री को बंद करना पड़ेगा।
मजदूरी अधिनियम संहिता के मौजूदा प्रावधानों के तहत, प्रमुख नियोक्ताओं को प्रत्येक महीने की 7 तारीख तक ठेकेदारों द्वारा जारी किए गए चालान का निपटान करना आवश्यक है। इस बीच, ठेकेदारों को प्रत्येक महीने की 10 तारीख तक अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करना होगा या दंड का सामना करना होगा। दुर्भाग्य से, यदि मुख्य नियोक्ता निर्धारित समय-सीमा तक ठेकेदारों को भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो उनके लिए कोई दंड नहीं है, जिससे असंतुलन पैदा होता है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव सेवा प्रदाताओं पर पड़ता है।
सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री ने उन मुख्य नियोक्ताओं के लिए दंड की शुरुआत करने का आह्वान किया है जो अपने भुगतान दायित्वों को पूरा नहीं करते हैं।
कैप्सि के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि एक निष्पक्ष और न्यायसंगत ढांचा स्थापित करना आवश्यक है, जो मुख्य नियोक्ताओं और ठेकेदारों दोनों को समय पर भुगतान के लिए उत्तरदायी बनाता है। यह परिवर्तन सेवा प्रदाताओं के हितों की रक्षा करेगा और एक स्वस्थ कारोबारी माहौल को बढ़ावा देगा, जो अर्थव्यवस्था के समग्र विकास और वृद्धि में योगदान देगा।