कनिष्क विमान हमले की 39वीं बरसी, भारत ने की आतंकवादियों के साथ नरमी बरते जाने की निंदा

नयी दिल्ली 24 जून (वार्ता) भारत ने 1985 के एयर इंडिया के ‘कनिष्क’ विमान में हुए बम विस्फोट और आतंकवादियों का कनाडा में महिमामंडन किये जाने की कड़ी निंदा की है और कहा है कि ऐसी घटनाओं की निंदा में राजनीति हानि-लाभ का विचार का विचार करना ठीक नहीं है।

ओटावा में भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा, “1985 में एआई-182 में बम विस्फोट सहित आतंकवाद को महिमामंडित करने का कोई भी कृत्य निंदनीय है और सभी शांति प्रिय देशों तथा व्यक्तियों की इसकी निंदा करना चाहिए।”

उच्चयोग ने कहा है, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कनाडा में कई अवसरों पर ऐसी गतिविधियों को समान्य रूप छूट दी जाती रही है।” बयान में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के हवाले से कहा गया है, “हमें राजनीतिक लाभ-हानि देख कर आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा के खिलाफ अपना रूख तय नहीं करना चाहिए। ”

गौरतलब है कि भारत से भगोड़े आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की पहली बरसी पर पिछले दिन कनाडा की संसद में उसे श्रद्धांजलि अर्पित की गयी थी और दो मिनट का मौन रखा गया था। बयान में श्री जयशंकर के उस बयान का भी उल्लेख है कि किसी देश की भौगोलिक अखंडता का सम्मान और उसके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का विषय किसी की पसंद या नापसंद का विषय नहीं हो सकता।

भारतीय उच्चायोग ने एक्स पर एक पोस्ट में ओटावा के डॉव झील के कमिश्नर पार्क में एयर इंडिया फ्लाइट 182 स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की तस्वीरें शेयर की है। इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कहा, “दुनिया की किसी भी सरकार को राजनीतिक लाभ के लिए अपने क्षेत्रों से उत्पन्न आतंकवाद के खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मानव जीवन क्षणभंगुर राजनीतिक हितों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। सभी आतंकवादी गतिविधियों का अनुकरणीय कानूनी और सामाजिक कार्रवाई के साथ सामना किया जाना चाहिए। इससे पहले कि वे व्यापक मानवता को नुकसान पहुंचाना शुरू करें। सरकारों, सुरक्षा एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने, उनके वित्तपोषण को बाधित करने और उनकी विकृत विचारधाराओं का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि 23 जून 1985 को कनिष्क बम विस्फोट में मॉन्ट्रियल से नयी दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की ‘कनिष्क’ फ्लाइट 182 में लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर निर्धारित लैंडिंग से 45 मिनट पहले विस्फोट हुआ था, जिसके कारण विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडा के नागरिक थे। अटलांटिक महासागर के ऊपर 31,000 फुट की ऊंचाई पर हुआ यह विस्फोट सिख अलगाववादियों द्वारा पंजाब में स्वर्ण मंदिर पर भारतीय सेना के 1984 के हमले का बदला लेने के लिए किया गया था।

इस मौके पर इसी तरह की श्रद्धांजलि सभी टोरंटो और वैंकूवर में आयोजित की गयी।

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