रेल को लेकर नेताओं के दावों पर जनता को नही हो रहा विश्वास…

 

* ललितपुर -सिंगरौली रेल परियोजना से सीधीवासियों में रेल को लेकर जागी उम्मीद एक दशक बाद भी पूरी नही होने से जनता का जनप्रतिनिधियों से उठने लगा विश्वास

 

चुनावी मुद्दा:मोनो -0031 जेपीजी

नवभारत 18 मार्च। सीधी में रेल को लेकर नेताओं के दावों पर जनता को विश्वास नहीं हो रहा है। लोकसभा चुनाव के प्रचार की सरगर्मियां आने वाले दिनों में तेज हो जाएंगी और उस दौरान यह मुद्दा और भी तेजी से उठने लगेगा। ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना से सीधी वासियों में रेल को लेकर उम्मीद जगी थी। लेकिन एक दशक बाद भी सीधी जिले में रेल न आने के कारण अब जनता का जन प्रतिनिधियों से विश्वास उठने लगा है। लोगों का मानना है कि ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना से संबद्ध रीवा-सिंगरौली नवीन रेल लाईन को लेकर जो भी काम चल रहे हैं वह काफी सुस्त हैं। यदि काम में तेजी होती तो अभी तक में सीधी जिला मुख्यालय का रेल की पटरी बिछ गई होती। सीधी जिले की सीमा में ही अभी बघवार की ओर रेल की पटरी बिछाने का काम शुरू नहीं हो सका है। यह अवश्य है कि रीवा-सीधी की सीमा पर स्थित छुहिया घाटी में निर्मित रेल टनल में अब पटरी बिछाने की तैयारियां शुरू हो रही हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सत्ता पक्ष के नेताओं द्वारा भले ही जितने वायदे किए जाएं लेकिन नवीन रेल पटरी सीधी जिले में डालने का काम अभी शुरू होने में ही काफी समय लगेगा। फिर भी कुछ लोगों का कहना है कि वर्ष 2024 के समाप्त होने से पूर्व सीधी जिले की सीमा में रेल पटरी डालने का काम जरूर शुरू हो जाएगा। रेल भले ही कब दौड़ेगी इसको लेकर संशय की स्थिति बनी रहेगी।

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541 किलोमीटर है ललितपुर-सिंगरौली नवीन रेलवे लाईन –

 

ललितपुर-सिंगरौली रेल लाईन के सपने में सीधी जिले में भू-अधिग्रहण का रोड़ा कई वर्षों तक बना रहा। बहुप्रतीक्षित रेलवे लाईन को केन्द्र सरकार से पर्याप्त बजट मिलने के बाद भी जन प्रतिनिधियों की निष्क्रियता के चलते भू-अधिग्रहण में देरी और अनियमितता का कारण प्रमुख माना जा रहा है। विंध्य क्षेत्र और बुंदेलखण्ड को जोडने के लिये 541 किलोमीटर लम्बी ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाईन परियोजना को 1997 में मंजूरी दी गई थी। करीब 925 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के तहत सीधी जिले में भी 2001 में भूमि अधिग्रहण शुरू किया गया। जिसमें सीधी जिले के 91 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। भू-अधिग्रहण का कार्य करीब 95 फीसदी हो चुका है। बाद में रेलवे की जरूरतों के अनुसार डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांवों को भू-अर्जन के लिए बाद में जोड़ा गया। जिसके चलते भू-अर्जन की कार्यवाही उक्त गांवों में बाद में शुरू हुई। अधिकांश गांवों में एवार्ड वितरण का कार्य भी हो चुका है। यह जरूर है कि कुछ क्षेत्रों में कई किसान अभी एवार्ड पाने से वंचित हैं। जिनमें काफी आक्रोश भी देखा जा रहा है।

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फोटो :71857जेपीजी

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रेल की कहानी जनता की जुबानी

 

ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना का हाल भी एनएच 39 जैसा ही है, समय- समय पर भाजपा के जनप्रतिनिधी अपने द्वारा किए गए पत्राचार का हवाला देकर अपनी पीठ थपथपाते रहते है, लेकिन यथार्थ में ये परियोजनाये कब पूरी होगी इसका जवाब इनके पास नहीं है।विडंबना ये भी है कि विपक्ष भी इन मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है, अपवाद स्वरूप कुछ छोटे- मोटे आंदोलनों को यदि छोड़ दे तो विपक्ष के रूप में कांग्रेस इन मुद्दों को उठाने में ज़्यादा रुचि नहीं दिखाई है, जो की समझ से परे है।

 

विपिन सिंह, सीधी

फोटो: 0015 जेपीजी

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विगत 40- 50 वर्षों से चल रहे रेल का कार्य अपने समय पर पूरा होगा इसमें किसी का कोई योगदान नहीं है। इसका श्रेय चाहे जो भी ले यह सब कहने की बातें हैं।

 

पं.कृष्ण शरण शुक्ला, सीधी

फोटो:0013 जेपीजी

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नवीन रेलवे लाइन सीधी जिले का सबसे बड़ा मुद्दा है जिसको आने वाले कुछ और चुनावो तक नेताओं द्वारा भुनाया जाएगा।पिछले 35 वर्षों से कागजो में दौड़ती रेलगाड़ी जाने कब धरातल पर आएगी।

 

जीवेन्द्र सिंह चन्देल, सीधी

फोटो:0014 जेपीजी

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