भोपाल, 05 जून (वार्ता) इस लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कई ऐसे प्रत्याशी भी रहे, जो पहली बार लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन उनकी जीत का अंतर लाखों में रहा।
इस कड़ी में पहला नाम आता है भोपाल से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी आलोक शर्मा का। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भोपाल उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव हार चुके श्री शर्मा भोपाल का बेहद जाना-पहचाना चेहरा हैं। इस बार उन्होंने पहली बार पार्टी की इस परंपरागत सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव को पांच लाख से अधिक मतों से शिकस्त दी। श्री शर्मा भोपाल के महापौर भी रह चुके हैं, ऐसे में इस संसदीय सीट से उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही थी। पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से जीत हासिल करने वाली प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काट कर अपने इस परंपरागत कार्यकर्ता पर भरोसा जताया था।
जबलपुर से भाजपा प्रत्याशी आशीष दुबे भी इसी श्रेणी में आते हैं। श्री दुबे को पहली बार भाजपा ने अपनी इस मजबूत सीट से चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने अपने विरोधी कांग्रेस के दिनेश यादव को चार लाख 86 हजार से भी ज्यादा मतों से शिकस्त देकर एक बार फिर ये सीट भाजपा के खाते में डाल दी है। लंबे समय से इस सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री राकेश सिंह सांसद थे।
वहीं सागर से भाजपा प्रत्याशी डॉ लता वानखेड़े को भी इस बार पहली बार भाजपा ने सांसद की दौड़ में प्रत्याशी बनाया था। चुनाव परिणामों में उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी कांग्रेस के चंद्रभूषण सिंह बुंदेला को लगभग पौने पांच लाख मतों के अंतर से पराजित किया। हालांकि सागर सीट को भी लंबे समय से भाजपा की परंपरागत सीट माना जाता है। कई चुनाव में यहां से भाजपा के ही प्रत्याशी सांसद बनते आ रहे हैं।
होशंगाबाद से पार्टी प्रत्याशी दर्शन सिंह चौधरी भी इसी श्रेणी में आते हैं। किसान नेता की छवि वाले श्री चौधरी ने इस सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी संजय शर्मा को लगभग चार लाख 31 हजार के मतों के अंतर से पराजित किया है।
सीधी से डॉ राजेश मिश्रा, रतलाम-झाबुआ सीट से अनिता नागरसिंह चौहान और बालाघाट से भारती पारधी भी पार्टी की ओर से पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी थे। तीनों ने क्रमश: लगभग दो-दो और पौने दो लाख मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराया।