उज्जैन: 1962 भारत-चीन युद्ध में भारतीय सेना के अनेक जांबाज़ सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की थी. इनमें यादव अहीर समाज के सैकड़ों वीर सपूत भी शामिल थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. उनकी शहादत को याद करते हुए देशभर में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग बुलंद की जा रही है. इसी कड़ी में यादव महासभा द्वारा निकाली गई रज कलश यात्रा सोमवार को उज्जैन पहुंचेगी.
यह यात्रा 12 अप्रैल 2024 को बिहार के छपरा से प्रारंभ हुई थी और देश के अनेक राज्यों से गुजरते हुए अब मध्य प्रदेश पहुंची है. मध्य प्रदेश के करीब 40 जिलों में भ्रमण करने के बाद यह यात्रा जनसमर्थन जुटाते हुए आगे बढ़ रही है. इस यात्रा का उद्देश्य न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है, बल्कि समाज और देश को यह संदेश देना भी है कि अहीर समाज के सैनिकों की कुर्बानी को सम्मान मिले और उनकी स्मृति में अलग अहीर रेजीमेंट का गठन किया जाए.
उज्जैन में होगा भव्य स्वागत
यात्रा का स्वागत आज सोमवार सुबह 11 बजे कृषि उपज मंडी परिसर में किया जाएगा। यहां समाज के हजारों लोग एकत्रित होंगे। कार्यक्रम की अगुवाई अखिल भारतीय यादव समाज महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण यादव करेंगे. इस अवसर पर शहीद अहीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी और अतिथियों के उद्बोधन होंगे.
पूर्व सैनिकों को भी किया आमंत्रित
यादव महासभा के सभी संगठनों को आमंत्रित किया है, कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली है. जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए हैं और समाज के वरिष्ठजन एवं युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. इस आयोजन में विशेष रूप से पूर्व सैनिकों को आमंत्रित किया गया है, ताकि वे अपनी सैन्य सेवाओं के अनुभव साझा कर सकें और युवाओं को प्रेरणा दे सकें.
शौर्यगाथा को याद करेगी यात्रा
अहीर समाज की शौर्यगाथा भारतीय इतिहास में विशेष स्थान रखती है. 1962 के युद्ध में जब भारतीय सेना ने दुर्गम क्षेत्रों में मोर्चा संभाला था, उस समय अहीर सैनिकों की वीरता का डंका पूरे देश में बजा था. इसी बलिदान की याद में यह यात्रा ‘रज कलश’ लेकर चल रही है, जो शहीदों की मिट्टी का प्रतीक है. यह कलश यात्रा जहां-जहां पहुंचेगी, वहां श्रद्धांजलि और स्वागत समारोह आयोजित होंगे.
दिल्ली में होगा समापन
यह रज कलश यात्रा 18 नवंबर को राजधानी दिल्ली पहुंचेगी और जंतर मंतर पर इसका समापन होगा. वहां केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपकर अहीर रेजीमेंट बनाने की औपचारिक मांग की जाएगी. आयोजन समिति का कहना है कि यदि पंजाब, बिहार, असम और उत्तराखंड जैसी रेजीमेंट हो सकती हैं तो अहीर रेजीमेंट भी बनाई जानी चाहिए, क्योंकि इस समाज का योगदान भारतीय सेना और आजादी की लड़ाई में अविस्मरणीय रहा है.
समाज में उत्साह और संकल्प
उज्जैन में होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर समाज में गहरी उत्सुकता है. रैली और सम्मान समारोह में हजारों लोगों की भीड़ जुटने की संभावना है. यादव महासभा के पदाधिकारियों का कहना है कि यह आंदोलन केवल यादव या अहीर समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है. यह उन शहीदों को उचित सम्मान देने की कोशिश है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी.
