नयी दिल्ली (वार्ता) केंद्रीय संचार, रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज डाक विभाग में कार्यरत 2.56 लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) की सेवा शर्तों में सुधार और सेवा में ठहराव को दूर करने के लिए एक वित्तीय उन्नयन योजना की घोषणा की जिससे इनको सालाना 118 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
श्री वैष्णव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में ग्रामीण डाक सेवकों की वर्षाें पुरानी मांग को पूरा किया गया है।
जीडीएस ग्रामीण क्षेत्रों में डाक विभाग की रीढ़ के रूप में कार्य करते हैं और देश के सुदूरवर्ती हिस्से में डाक और वित्तीय सेवाएं पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने कहा कि वित्तीय उन्नयन अनुदान योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण डाक सेवक को 12, 24 और 36 वर्ष की सेवा पूरी करने पर क्रमश: 4,320 रुपये, 5520 रुपये और 7200 रुपये की तीन वित्तीय उन्नयन राशि मिलेगी।
इस पर वार्षिक 118 करोड़ रुपये का व्यय होगा और यह राशि ग्रामीण डाक सेवकों को मिलेगी।
यह जीडीएस को ‘समय संबंधी निरंतरता भत्ता (टीआरसीए)’ के रूप में प्रदान किए गए पारिश्रमिक के अतिरिक्त है।
उन्होंने कहा कि जीडीएस की सेवा शर्तों में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में इस योजना से 2.56 लाख से अधिक जीडीएस को लाभ होने और उनकी सेवा में ठहराव दूर होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि इस वित्तीय उन्नयन अनुदान योजना का लाभ उठाने के लिए ग्रामीण डाक सेवकों को एक रिफ्रेशर कोर्स करना होगा और अपना कौशल उन्नयन करना होगा।
इसके आधार पर उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा क्योंकि समय समय पर हो रहे डिजिटल बदलाव के अनुरूप उनको स्वयं को तैयार करना होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षाें में 50 हजार से अधिक ग्रामीण डाक सेवक जुड़े हैं और अब ये डाक सेवक मिशन डाक कर्मयोगी से जुड़कर आगे भी बढ़ रहे हैं।