मालवा- निमाड़ की डायरी
संजय व्यास
धार लोक सभा सीट पर कांग्रेस विधायक व विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. धार जिले की गंधवानी सीट से 4 बार विधायक सिंघार इस लोक सभा चुनाव में धार संसदीय क्षेत्र के प्रभारी रहे. उनकी ही जिद पर राधेश्याम मुवेल को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया. चुनावी समर के मुवेल नए नवेले खिलाड़ी हैं. हालांकि 2014 के लोक सभा चुनाव में वे ओम मरकाम के प्रोत्साहन की वजह से अमेठी में राहुल गांधी के लिए रणनीति बनाने वालों में शामिल थे. लोकसभा चुनाव 2024 में धार से उनकी दावेदारी की खिलाफत प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी और जयस संरक्षक व मनावर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा कर रहे थे.
हीरालाल अलावा जयस नेता महेंद्र कन्नौज को टिकट दिलवाना चाहते थे, जिसे पटवारी भी समर्थन देते, मगर सिंघार के उपरी रिश्तों के कारण उनकी नहीं चली. 2023 के विधान सभा चुनाव में धार संसदीय क्षेत्र की 7 सीटों में से 5 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, इसलिए सिंघार को अपने प्रत्याशी के जीतने की पूरी उम्मीद है. जब भारी मतदान (72.45 प्रतिशत वोटिंग) यहां संपन्न हो चुका है तो अब सभी को 4 जून को मतगणना इंतजार है. अगर उमंग की अपेक्षानुसार मुवेल जीतते हैं तो कांग्रेस में सिंघार का कद बढऩा तय है अन्यथा इस आदिवासी नेता की साख पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा.
अपने-अपने दावे
अंचल की आदिवासी सीट धार, रतलाम-झाबुआ, खरगोन को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों तीनों सीट जीतने के दावे कर रही है. भाजपा ने इन 3 सीटों में से 2 पर महिला प्रत्याशियों सावित्री ठाकुर और अनीता चौहान को धार व रतलाम सीट से उतारा, जबकि खरगोन-बड़वानी सीट से मौजूदा सांसद गजेंद्र पटेल मैदान में रहे. भाजपा रणनीतिकारों का दावा है कि मोदी की गारंटी और सबका विकास की बदौलत भाजपा के पक्ष में जनता ने पुन: भरोसा जताया है, हम तीनों सीट जीत रहे हैं. वहीं उमंग सिंघार ने भी अंचल की तीनों आदिवासी सीट पर कांग्रेस की पताका फहराने का दावा किया है. सिंघार के दावे के अनुसार- आदिवासी क्षेत्र की तीनों सीटों पर हम जीत रहे हैं. भाजपा यहां हार की आहट से घबराहट की स्थिति में है. युवा, आदिवासी और किसान, सबने कांग्रेस के पक्ष में मन बनाया और मतदान किया, जिससे हमारी आशा बलबती होती है कि धार, रतलाम-झाबुआ और खरगोन सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार ही जीतेंगे.
कोपभाजन की खबरों से मंत्री परेशान
भाजपा के मिशन 400 पार का बेस 370 प्लस (2019 के मुकाबले हर बूथ पर 370 मत ज्यादा डलवाना) की रणनीति परवान नहीं चढ़ी. अमित शाह की चेतावनी भी कुछ जगह को छोडकऱ बेअसर रही. अब चर्चा है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत 2019 की तुलना में काफी कम रहा है, उस क्षेत्र के मंत्रियों के खिलाफ चुनाव परिणाम घोषित होते ही शाह सख्त एक्शन लेने के मूड में हैं. अंचल से अमित शाह की सूची में विजय शाह, नागर सिंह चौहान, चैतन्य काश्यप के नाम बताए जा रहे हैं. इनकी अपनी विधानसभा क्षेत्रों में 1 से 6 फीसदी तक कम मतदान हुआ है. ऐसे में माना जा रहा है कि इन सभी की मंत्री पद से छुट्टी की जा सकती है और नए विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है. ऐसा भी माना जा रहा है कि जिन विधायकों के क्षेत्र में पिछली बार की तुलना में अधिक वोटिंग हुई होगी, तो उनको मंत्री पद देकर उनके काम को भाजपा प्रोत्साहित भी कर सकती है. हालांकि इन मंत्रियों ने मतदान बढ़ाने के लिए भरसक प्रयत्न किए थे, लेकिन इस तरह की उड़ती कोपभाजन की खबरों से ये मंत्री बेचैन नजर आ रहे हैं.