मामला वन स्टाफ सेन्टर के लंबित वेतन का मामला उजागर होने पर बौखलाए डीपीओ
सिंगरौली :वन स्टाफ सेन्टर बैढऩ में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास सिंगरौली के एक निर्देश भरे पत्र से वन स्टाफ सेन्टर में हड़क म्प मचा है। 1 अपै्रल को नवभारत में प्रकाशित खबर एवं पुलिस अधीक्षक मध्यप्रदेश मानवाधिकार के यहां शिकायत से स्टाफ पर बौखला गये। हालांकि उक्त पत्र डीपीओ के आदेशानुसार प्रभारी प्रशासक ने जारी किया है।
गौरतलब है कि वन स्टाफ सेन्टर बैढऩ संस्था जयप्रकाश नारायण युवा मण्डल बडख़रा के माध्यम से संचालित है। जिसकी संपूर्ण मानिटरिंग महिला एवं बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है। 1 अप्रैल 2024 को नवभारत में खबर प्रकाशित हुई कि 7 माह से वन स्टाफ में कार्यरत कर्मचारियों को पगार नही मिली है। वही इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक मध्यप्रदेश मानवाधिकार के यहां किसी गुमनाम व्यक्ति के द्वारा कर दी गई थी। समाचार प्रकाशन एवं शिकायत होने के बाद संबंधित कर्मचारियों को जनवरी महीने तक का भुगतान कर दिया।
जबकि इसके पहले डीपीओ बजट अभाव का रोना बताकर मानदेय भुगतान करने में टालमटोल कर रहे थे। हालांकि डीपीओ के यहां से पिछले पखवाड़ा चार महीने का मानदेय भुगतान जरूर किया । लेकिन अभी भी फरवरी माह से लेकर अप्रैल माह तक भुगतान बजट के अभाव में लंबित है। इधर जब उक्त मामला एवं डीपीओ के क्रियाकलाप बेनकाब हुआ। उन्होंने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए वन स्टाफ सेन्टर में क ार्यरत संविदा स्टाफ पर दबाव बनाने के लिए हथकण्डा अपनाया है। आरोप है कि पिछले सप्ताह प्रभारी प्रशासक के माध्यम से समस्त कार्यरत कर्मचारी वन स्टाफ सेन्टर बैढऩ को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कराया है।
सूचना पत्र में चार महीने का मानदेय भुगतान करने का जिक्र करते हुये जवाब मांगा है कि उक्त शिकायत किस कर्मचारी के द्वारा की गई है। लिखित में अवगत करायें एवं शिकायत नही की गई है तो लिखित में 24 घण्टें के अन्दर कथन व स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। अन्यथा ऐसी स्थिति में एक पक्षीय कार्रवाई प्रस्तावित कि जावेगी। डीपीओ के इस निर्देश से तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही है। कहा जा रहा है कि स्टाफ पर दबाव बनाने एवं अपनी करतूतों को छुपाने के लिए तालीवानी की तरह आदेश दिये जा रहे हैं। ताकि दोबारा कोई भी स्टाफ विभाग के कमियों को उजागिर करने का दुस्साहस न करें।
जिसपर था आरोप वही खुद करेगा अपनी जांच
वन स्टाफ सेन्टर बैढऩ के संविदा स्टाफ का 7 महीने का वेतन लंबित होने के मामले में 13 मई को संयुक्त कलेक्टर सिंगरौली ने 1 अप्रैल को नवभारत समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पुलिस अधीक्षक मध्यप्रदेश मानवाधिकार के आयोग के पत्र का हवाला देकर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सिंगरौली से तीन दिवस के अन्दर जवाब देने के लिए निर्देशित किया। हैरानी की बात यह है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग पर आरोप था कि वन स्टाफ सेन्टर को मानदेय का भुगतान देने में बजट न होने का कारण टालमटोल कर रहें हैं। अब सवाल उठ रहा है कि जिस अधिकारी डीपीओ पर आरोप था। उन्ही से जांच प्रतिवेदन क्यो मांगा गया। डीपीओ क्या अपनी कमियों को जांच प्रतिवेदन में उल्लेख करेंगे ?