नवभारत न्यूज,
बुरहानपुर /नेपानगर। तापमान करीब 43 डिग्री के आसपास है। ऐसे में किसानों को अपनी केला फसल बचाने की चिंता रही है। इसके लिए वह तरह तरह की जुगाड़ लगा रहे हैं। केला फसल को बचाने की कवायद की जा रही है। वहीं दूसरी ओर बाजार में आम की अच्छी आवक के चलते केला फसल के दाम कभी कम तो कभी ज्यादा मिल रहे हैं।
कुछ दिनों से तापमान 40 डिग्री से उपर ही चल रहा है। ऐसे में किसान चिंतित हैं कि कहीं उनकी केला फसल को नुकसान न हो जाए। इसलिए वह इसे गर्मी से बचाने के लिए तरह तरह के उपाय कर रहे हैं। किसी ने कपड़े से फसल को ढंका है तो कोई हरी नेट से सुरक्षित कर रहा है। हालांकि दो तीन दिन से मौसम का मिजाज बदला हुआ है और तापमान 40.42 डिग्री के आसपास घूम रहा है,लेकिन किसानों को चिंता है कि गर्मी बढऩे पर अगर केला फसल झुलसी तो क्या होगाए क्योंकि पिछले 5 साल से किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। इसके कारण किसान आर्थिक नुकसान उठाते हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा हर साल केला फसल के बीमे के लिए नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। 2019 में इसका लाभ किसानों को मिला था,लेकिन 2020 से अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं होने से किसी भी किसान को बीमा फसल का लाभ नहीं मिला। 2020 में किसानों ने बीमा प्रीमियम जमा कराया था, लेकिन तब बैंकों ने उसे यह कहकर वापस लौटा दिया था कि केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ। किसानों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अगर फसल बीमा नहीं होता है तो प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसानी की स्थिति में राजस्व विभाग के आरबीसी नियम 6.4 के तहत मुआवजा मिलता हैए लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता। किसानों के अनुसार जितना मुआवजा मिलता है उतनी राशि से तो खेत में बोई गई फसल का आधा खर्च भी नहीं निकल पाता। इसलिए किसान 5 साल से केला फसल के बीमा की मांग उठा रहे हैं। कईं बार जिला स्तर पर आंदोलन तक किए जा चुके हैं।
भीषण गर्मी में झुलसती है केला फसल: -किसानों के अनुसार जब तापमान 42 से 44 डिग्री के आसपास पहुंचता है तो केला फसल झुलसने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इन दिनों तापमान 42 डिग्री के आसपास है इसलिए भी किसानों की चिंता बढ़ गई है। अब केला फसल को धूप से बचाने के लिए किसानों ने कहीं हरी नेट तो कहीं प्लास्टिक से आड़ कर रखी है,लेकिन अधिक गर्मी में यह प्रयास भी नाकाफी रहते हैं। किसानों ने बताया कि धूप के कारण केले पर असर पड़ता है। इसके साइज और कलर में अंतर आ जाता है। ऐसे में बाजार में बिकने के समय इसके दाम पर खासा असर पड़ सकता है।