हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति
जबलपुर। गर्भपात के लिए बलात्कार पीड़िता की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि पीड़िता की मां ने स्वीकार किया है कि वह अभियोजन में आरोपी को बचाने की कोशिश करेंगी। एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए अपने आदेश में कहा था कि अजन्मे बच्चे की हत्या करने लुका-छुपी का खेल खेलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की गयी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने गर्भपात की अनुमति देते हुए अपने आदेश में कहा है कि बलात्कार पीड़िता नाबालिग गर्भवती के मामले में मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते है।
गौरतलब है कि मैहर निवासी पीडिता की तरफ से गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि गर्भपात की अनुमति मिलने पर पीडिता के माता-पिता आपराधिक प्रकरण की सुनवाई में अपने बयान से नहीं मुकरेंगे तथा अभियोजन पक्ष का सहयोग करेंगे, इस संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत करें। याचिका की सुनवाई के दौरान पीड़िता की माँ ने न्यायालय में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। जिसमें कहा गया था कि वह जिला न्यायालय में सुनवाई के दौरान अपने बयान से नहीं मुकरेंगी। पति की दिमागी स्थिति ठीक नहीं होने के कारण हलफनामा देने में असक्षम बताया था।
सुनवाई के दौरान पीड़िता की मॉ ने स्वीकार किया कि आरोपी उसकी बड़ी बेटी का पति है। आपराधिक प्रकरण की सुनवाई के दौरान वह उसे बचाने का प्रयास करेंगी। एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में उक्त तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि अपराध नहीं हुआ है इसे साबित करने के लिए न्यायालय को एक उपकरण के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।
एकलपीठ के आदेश के खिलाफ उक्त अपील दायर की गयी थी। युगलपीठ ने दायर अपील की सुनवाई के दौरान पेश की गयी रिपोर्ट में पाया कि पीड़िता का गर्भ 21 सप्ताह का है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए युगलपीठ ने कहा कि एक्ट के तहत पीडिता को गर्भपात की अनुमति प्रदान की जा सकती है। युगलपीठ ने कहा कि गर्भपात के लिए नाबालिग गर्भवती पीडिता न्यायालय के चक्कर काट रही है,जिसे मूकदर्शक बनकर नहीं देखा जा सकता है। युगलपीठ ने तीन डॉक्टरों की टीम द्वारा गर्भपात कर भ्रूण का नमूना सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किये हैं। युगलपीठ ने गर्भपात के दौरान सभी चिकित्सा सुरक्षा का ध्यान रखने तथा पीडिता के देखभाल के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये। युगलपीठ ने कहा कि पीड़िता की मॉ हलफनामे में दिये बयान से पीछे नहीं हटेंगी और ट्रायल कोर्ट में अभियोजन का समर्थन करेंगी।