भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की यात्रा ओम्कारेश्वर से शुरू होगीः स्वामी परमानंद

जगतगुरु शंकराचार्य की बोलो जय जयकार के स्वर से संपन्न हुआ पंचदिवसीय एकात्म पर्व

इंदौर/ओंकारेश्वर: आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास,संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा आयोजित पांच दिवसीय शंकर प्रकटोत्सव का समापन सोमवार को वैदिक अनुष्ठान की पूर्णाहुति के साथ हुआ. विगत पांच दिनों में संदीपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान के वैदिक पंडितो द्वारा वेद पारायण, शंकर भाष्य पारायण, यज्ञ, हवन आदि वैदिक अनुष्ठान किए गए.आचार्यों द्वारा वेद की 9 शाखाओं का पारायण किया गया, जिसमें ऋग्वेद की शाकल शाखा, शुक्ल यजुर्वेद की काडव्व शाखा, माध्यान्दिनीय शाखा,कृष्ण यजुर्वेद की तैतीरिया शाखा,सामवेद की कौथुम शाखा, राणायनीय शाखा, जैमिनी शाखा, अथर्ववेद की शौनक, पेप्पलाद शाखा का पाठ हुआ. यज्ञ शाला में गणपति पूजन,यज्ञ,हवन,पंचायतन पूजा आदि अनुष्ठान हुए. कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस में भव्य शोभा यात्रा भी निकली,जिसमे साधु संतो व ओंकारेश्वर के नागरिकों ने भाग लिया.

प्रतिदिन संध्या काल में ब्रम्होत्सव का भी आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत महर्षि संदीपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के वैदिक आचार्य द्वारा मंगलाचरण, तत्पश्चात श्रृंगेरी सिस्टर्स द्वारा आचार्य शंकर विरचित स्तोत्र का गायन किया गया, शाम को पूज्य संतो व वेदांत के अध्येताओं द्वारा आचार्य शंकर के जीवन दर्शन व अद्वैत वेदांत के सिद्धांत के ऊपर ऊपर सारस्वत उद्बोधन दिए गए. श्रृंगेरी सिस्टर्स ने आचार्य शंकर द् रचित पंचरत्न स्तोत्र का पाठ किया। साथ ही अपने मधुर कंठ द्वारा जगत गुरु शंकराचार्य की बोलो जय जयकार,हम सभी की है प्रार्थना है स्वामीजी करो राष्ट्र के संकट का परिहार के गान के साथ सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया.

कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल के प्रोफेसर रामनाथ झा ने कहा कि आचार्य शंकर ने वेदों को ज्ञान का आधार बनाया,हमारे ऋषि ही ज्ञान परंपरा के संवाहक है. उन्होंने भारत की तीन बार यात्राएं की. वे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल गए, आचार्य नेमिसारण्य से होते हुए अयोध्या भी गए. साथ ही प्रो. झा ने आचार्य शंकर की शास्त्रार्थ यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया की संस्कृत भाषा ही एकात्म की भाषा है. भगवत गीता का संदर्भ देते हुए मनुष्य के अंदर मौजूद जीवात्मा की आकर्षण शक्ति के बारे में बताया.

आचार्य शंकर के सिद्धांत कोई काट नहीं सकता
ब्रम्होत्सव में मुख्य अतिथि अखंड धाम हरिद्वार के संस्थापक व राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी पूज्य स्वामी युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरी ने सारस्वत वक्तव्य दिया, उन्होंने कहा कि हमारे अंतःकरण का निर्माण गुरू से होता है. मनुष्य का निर्माण दो बार होता है ,एक बार माता पिता द्वारा एक बार गुरु द्वारा. हमारे शास्त्र विश्वास पर शुरू होते है और अनुभव कराके रहते है. उन्होंने बताया कि आचार्य शंकर के सिद्धांत को कोई काट नहीं सकता. वेदांत का उपदेश ही गुरु मंत्र है. एकात्म धाम का निर्माण करके मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग का योगदान इतिहास में स्वर्णिम अक्षर से लिखा जायेगा. अंत में कहा की जिस प्रकार आचार्य शंकर ने 1200 वर्ष पहले भारत को एक सूत्र में बंधने की यात्रा ओंकारेश्वर से शुरू की थी. अब पुनः भारत को विश्वगुरु बनाने की यात्रा ओम्कारेश्वर से शुरू होगी.

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