मामला : नगर परिषद द्वारा 1 लाख 55 हजार का ई रिक्शा 4 लाख 80 हजार में खरीदने का
सुसनेर, 10 मई. नगर परिषद के द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत खरीदे गए पांच ई रिक्शा की खरीदी में गड़बड़ी की शिकायत भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों के द्वारा संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन उज्जैन को किए जाने के बाद फरवरी में तहसीलदार की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच दल का गठन करके मामले की जांच शुरू की गई थी. किंतु 3 माह बाद अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच दल ने अभी तक अपना प्रतिवेदन ही जिला कलेक्टर को नहीं भेजा है. जबकि जांच में कई तरह की गड़बडिय़ां सामने आई हैं. नगर परिषद के द्वारा गुलमोहर कंपनी का 1 लाख 55 हजार रुपए का ई रिक्शा 4 लाख 80 हजार से भी अधिक की लागत में खरीदा गया है और इन ई रिक्शा के लिए 17 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया है, जबकि शेष बचे भुगतान के लिए पीआईसी की बैठक में संकल्प भी पारित किया गया है. कांग्रेस पार्षद नईम अहमद मेव और तीन अन्य ने परिषद में एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर इस मामले का खुलासा किया था, जिसमें अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. दूसरी ओर मामले की शिकायत मिलने के बाद संयुक्त संचालक ने नगर परिषद सीएमओ तथा नगर परिषद के लेखापाल को उज्जैन बुलाकर उनसे मामले की जानकारी ली. अब देखना है इस मामले में क्या कार्रवाई होती है.
गलत ढंग से किया आईडी का उपयोग
जिन फर्मों के कोटेशन खरीदी के लिए डाले गए थे. स्थानीय स्तर पर उनके कार्यालय का अस्तित्व ही मौजूद नहीं है. जांच में यह भी सामने आया है की जेम पोर्टल से खरीदी में परिषद के जिस कर्मचारी की आईडी उपयोग की गई थी वह उस समय बीमारी के चलते आईडी का उपयोग करने की स्थिति में ही नहीं था. नगर परिषद के दूसरे कर्मचारी के द्वारा इस भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए उसकी आईडी यूज की.
16 लाख का घोटाला!
ई रिक्शा की खरीदी में 16 लाख का घोटाला हुआ है. एक की खरीदी में 3 लाख 25 हजार का भुगतान ज्यादा किया गया है. यह खरीदी जेम पोर्टल के जरिए की गई थी. इस खरीदी में कौन 3 फर्मो के कोटेशन लगे थे, इसका खुलासा होना अभी बाकी है. साथ ही जांच में यह भी सामने आया है कि जो फर्म निर्माण सामग्री तथा निर्माण कार्य के लिए पंजीबद्ध है, उससे ई रिक्शा खरीदे गए.
इनका कहना है
इनका कहना है…
वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच दल बनाकर मुझे जांच सौंपी गई थी. जांच लगभग पूर्ण हो गई है. चुनाव की व्यस्तताओं के चलते मैं जांच प्रतिवेदन अधिकारियों कों नही भेज पाया हूं. जांच प्रतिवेदन जल्द से जल्द भेज दिया जाएगा.
– विजय सेनानी, तहसीलदार एवं जांच दल प्रभारी
जांच के दौरान अधिकारियों के द्वारा नगर परिषद से कागजात लिए गए तथा संबंधित कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए गए थे. जांच का क्या हुआ है, यह नगर परिषद का विषय नहीं है.
– ओपी नागर, सीएमओ, नगर परिषद, सुसनेर