भोपाल, 10 मई अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में दुर्लभ रक्त विकार से पीड़ित एक महिला की “तिल्ली” को उन्नत लेप्रोस्कोपिक तकनीक की मदद से की गयी सर्जरी से सफलतापूर्वक हटा दिया गया है।
एम्स की ओर से आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार अस्पताल के हेमेटोलॉजी (रक्त संबंधी रोग) विभाग में लगभग तीस वर्षीय एक महिला अपने इलाज के लिए आयी। शुरूआती जांच से पता चला कि वह वंशानुगत “स्फेरोसाइटोसिस” बीमारी से पीड़ित है। इस स्थिति में “प्लीहा अथवा तिल्ली”, जिसे लाल रक्त कोशिकाओं का कब्रस्तान भी कहा जाता है, अपने जन्मजात संरचनात्मक दोष के कारण युवा लाल रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता है। रोगी को बचपन से ही बार-बार पीलिया और एनीमिया (रक्ताल्पता) की समस्या थी। एनीमिया को ठीक करने के लिए उसे कई बार रक्त चढ़ाने की भी जरूरत पड़ी।
मरीज की तिल्ली हटाने के लिए उसे सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में भेजा गया। विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता ने जब मरीज की जांच की तो उसकी तिल्ली बहुत बढ़ी हुई पायी गयी। यह बड़ी तिल्ली पेट में दर्द और बेचैनी पैदा कर रही थी। डॉ गुप्ता ने कहा, “प्रारंभ में हमने इसे पारंपरिक सामान्य ऑपरेशन के द्वारा हटाने के बारे में सोचा। हालाँकि, रोगी की कम उम्र और छोटे बच्चों को देखते हुए, हमने मरीज के हित में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की योजना बनाई। लेप्रोस्कोपिक पद्धति से प्लीहा हटाना एक तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है और आमतौर पर इसे बहुत बड़ी प्लीहा के साथ विशेष रूप से नहीं अपनाया जाता है।”
इसके उपरांत डॉ. गुप्ता और उनकी टीम ने सर्जरी को हाल ही में सफलतापूर्वक अंजाम दिया और मरीज के पूरी तरह से स्वस्थ होने पर अब उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। एम्स, भोपाल के कार्यपालक निदेशक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रोफेसर अजय सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य समाज के वंचित वर्ग को न्यूनतम व्यय में बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है और यह सर्जरी इसी उद्देश्य का एक उदाहरण है।