भगवान परशुराम द्वारा स्थापित मलशमनेश्वर महादेव उपेक्षा का शिकार

कमलेश चौहान

 

मंडलेश्वर. भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का निमाड़ मालवा की भूमि से गहरा संबंध रहा है. भगवान परशुराम का जन्म आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित मानपुर के नजदीक जानापाव कुटी में हुआ था. भगवान परशुराम एकमात्र ऐसे ऋषि रहे है जिन्होंने त्रेता युग में अत्याचारी राजाओं के खिलाफ मोर्चा खोला था. ऐसी मान्यता है की भगवान परशुराम ने 21 बार सम्पूर्ण धरती से अत्याचारी राजाओं का वध कर आम जनता की रक्षा की थी.

इन्ही युद्धों में महिष्मति (वर्तमान में महेश्वर) के राजा रहे सहत्रार्जुन का वध भी शामिल है. एक मान्यता भगवान परशुराम के बारे में और प्रचलित है की उन्होंने निर्मित परिस्थितियों के अनुसार स्वयं अपनी माता रेणुका का वध भी किया था. पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम ने मातृ हत्या की आत्म ग्लानि से बाहर आने के उद्देश्य से मां नर्मदा किनारे तपस्या की थी. इस तपस्या के दौरान कुछ स्थानों पर परशुराम जी ने माता गंगा का आह्वान कर शिवलिंग कि स्थापना की था. यही स्थान मंडलेश्वर नगर के गंगा झीरा स्थित मलशमनेश्वर महादेव है. उक्त जानकारी देते हुए पंडित पंकज मेहता ने बताया की गंगा झीरा स्थित मलशमनेश्वर महादेव शिवालय पर भगवान परशुराम ने तपस्या की थी. माता गंगा का आह्वान कर शिवलिंग की स्थापना की थी. इसी कारण से इस शिवलिंग के पास स्थित कुंड गंगा झीरा कहलाया। जिसमे पानी सदैव ऊपर तक भरा रहता है.

 

नर्मदा परिक्रमा में स्थान का विशेष महत्व

नागपुर के प्रसिद्ध संत विवेक जी ने जानकारी देते हुए बताया कि मलशमनेश्वर महादेव का नर्मदा परिक्रमा में विशेष महत्व है. इस स्थान पर परिक्रमा के दौरान परिक्रमावासी को पहुंचना अनिवार्य है. आदिगुरु शंकराचार्य से लेकर सभी शंकराचार्यों ने नर्मदा परिक्रमा के दौरान यहां दर्शन पूजन किया था. जिसके निशान आज भी शिवलिंग पर मौजूद है. ज्ञात हो की शंकराचार्यों ने अपनी कुशा की अंगूठीयों से अपने बाद आने वाले शंकराचार्यों की पहचान हेतु शिवलिंग पर निशान छोड़े है जो आज भी शिवलिंग पर देखे जा सकते है.

 

स्थान है उपेक्षा का शिकार

गंगा झीरा स्थान बरसो से उपेक्षा का शिकार रहा है. एक समय तक गंगा झीरा कुंड एवं मलशमनेश्वर महादेव शिवालय जुआरियों एवं शराबियो का अड्डा हुआ करता था. कुछ जागरूक सनातनियो के शिकायत पर उक्त अवैध गतिविधियों पर रोक तो लगी पर स्थान पूर्व की तरह उपेक्षित ही रहा। आज भी उक्त स्थान पर कोई व्यवस्थित मंदिर नही बना हुआ है.

 

ब्रह्म समाज ने लिया है मंदिर निर्माण का संकल्प

ब्रह्म समाज के मार्गदर्शक पंडित प्रकाश मेहता ने जानकारी देते हुए बताया की आज परशुराम जयंती के अवसर पर ब्रह्म समाज भगवान परशुराम द्वारा स्थापित मलशमनेश्वर महादेव का पूजन अभिषेक करेगा. वहा उपस्थित ब्रह्म समाज के सदस्यो को इस पवित्र स्थान के बारे में पूर्ण जानकारी दी जाएगी। ब्रह्म समाज का उद्देश्य है भगवान परशुराम संबंधित उक्त स्थान का जीर्णोद्धार कर एक व्यवस्थित शिवालय की स्थापना हो.

 

जीर्ण शीर्ण अवस्था में है मलशमनेश्वर शिवालय

ब्रह्म समाज के कोषाध्यक्ष आशीष दुबे ने बताया कि गंगा झीरा को बचपन से देखते आ रहे है. आज से 40 वर्ष पूर्व ये जिस अवस्था में था आज भी उसी अवस्था में है. शिवालय की छत पर पतरे डाले हुए है. सामने से गंदा नाला बह रहा है. अब जब इस स्थान की पूरी जानकारी मय प्रमाण प्राप्त हो चुकी है तो इस स्थान का जीर्णोद्धार होना चाहिए.

 

आगामी सिहस्थ के पूर्व है सौंदर्यीकरण की योजना

नगर परिषद अध्यक्ष विश्वदीप मोयदे ने बताया कि मप्र शासन ने सिंहस्थ के पूर्व पवित्र नगरियों में पर्यटन बढ़ने के उद्देश्य से मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव मांगे थे. उक्त प्रस्तावों में गंगा झीरा के सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भी सम्मिलित है.

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