हाईकोर्ट ने खारिज किया श्रम न्यायालय का आदेश
जबलपुर। चेक के माध्यम से मुआवजा तथा एक माह का भुगतान किये जाने के कारण श्रम न्यायालय द्वारा कर्मचारी के बर्खास्ती का आदेश निरस्त किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा है कि बर्खास्ती आदेश के साथ कर्मचारी को भुगतान किये जाने का प्रावधान है। भुगतान चेक व नगद दोनों रूप में किया जा सकता है। एकलपीठ ने श्रम न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया।
मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि कर्मचारी हरिचरण को बर्खास्त करते हुए उसे एक माह के वेतन तथा मुआवजा के अलग-अलग चेक दिये गये थे। कर्मचारी ने दोनों चेक स्वीकार कर लिये थे। इसके बाद बर्खास्ती के आदेश को चुनौती देते हुए उसने श्रम न्यायालय में आवेदन दायर किया था। श्रम न्यायालय ने मुआवजा तथा वेतन का भुगतान नगद रूप में नहीं किये के कारण बर्खास्ती के आदेश को निरस्त कर दिया था। जिसे चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की गयी है।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एफ के तहत बर्खास्ती आदेश के साथ कर्मचारी को वेतन व मुआवजा का भुगतान करने के आदेश जारी किये है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह नहीं कहा है कि भुगतान नगद किया जाये। एकलपीठ ने चेक द्वारा किये गये भुगतान को वैधानिक मानते हुए श्रम न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया।