सियासत
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 के विधायक संजय शुक्ला ने फिर से अपना फोकस अपनी विधानसभा क्षेत्र पर बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने उन्हें महापौर का टिकट दिया था लेकिन नगरीय निकाय चुनाव टल गए। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही अब यह चुनाव संभव होंगे। इसके पहले पंचायत चुनाव का ऐलान हो चुका है। जनवरी तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो जाएंगे। ऐसे में नगरीय निकाय चुनाव के अनिश्चितता को देखते हुए संजय शुक्ला ने 2023 की तैयारी प्रारंभ कर दी है। उन्होंने एलान किया है कि अपने विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड के क्षेत्र लोगों को अयोध्या में राम मंदिर का दर्शन कराएंगे।
संजय शुक्ला जानते हैं कि इंदौर में संघ परिवार कितना मजबूत है और यहां की जनता हिंदुत्व को कितना मानती है। ऐसे में उन्होंने कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद हिंदुत्व का कार्ड खेल दिया है। उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की कि उनके इस फैसले को कांग्रेस आलाकमान पसंद करेगा या नहीं! संजय शुक्ला इंदौर के पहले विधायक थे, जिन्होंने राम मंदिर के लिए बड़ा अमाउंट चंदे के रूप में दिया। वैसे कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ ने भी राम मंदिर के लिए एक लाख रुपए का चंदा दिया है। कमलनाथ खुद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से प्रदेश में हिंदुत्व की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान राम वन पथ मार्ग को बनाने का ऐलान किया था।
कमलनाथ अपने प्रत्येक दौरे में मंदिर जाना नहीं भूलते। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा में हनुमान जी का मंदिर में बनवाया है। कमलनाथ की यह रणनीति कांग्रेस आलाकमान से हट कर है। इस नीति का लाभ भी हुआ है। मध्यप्रदेश में भाजपा ध्रुवीकरण करने में असफल रही तो उसका कारण कमलनाथ की रणनीति है। संजय शुक्ला भी इसी रणनीति को अंजाम दे रहे हैं। वे जानते हैं कि यदि हिंदुत्व के संबंध में उन्होंने अपना रवैया स्पष्ट नहीं रखा तो विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल है। वैसे उनका परिवार धार्मिक रहा है। खुद संजय शुक्ला ने मरीमाता चौराहे पर गणपति का मंदिर बनवाया है। संजय शुक्ला के जितने संबंध कांग्रेस में है, उससे अधिक भाजपा में। इस कारण से उन्होंने कांग्रेस आलाकमान की परवाह नहीं करते हुए एक तरह से अयोध्या आंदोलन का समर्थन किया है। उनकी रणनीति कितनी कामयाब होगी यह भविष्य की बात है, लेकिन इतना तय है कि उन्होंने अपना फोकस महापौर पद से हटाकर विधानसभा पर कर दिया है।
फिर करोना की चिंता
लंबे अरसे बाद शहर में फिर से कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत हुई है। यह इंदौर के लिए खतरे की घंटी है। यह सही है क्या वैक्सीन के पहले डोज के मामले में इंदौर ने बाजी मारी है लेकिन दूसरा डोज भी जरूरी है। विशेषज्ञ कहते हैं सिर्फ वैक्सीनेशन ही काफी नहीं है। सावधानी भी अत्यंत आवश्यक है। चुनाव और त्यौहार निपट गए हैं लेकिन शादियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में प्रशासन और नगर निगम की चिंता बढ़ गई है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बार-बार जनता से निवेदन किया है कि लापरवाही ना करें। देखा गया है कि बाजारों में आधे से अधिक लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। पहले व्यापारी सख्ती बरतते थे लेकिन अब ढील दी जा रही है। लोगों को चाहिए कि सावधानी ना छोड़े। अभी यह संकट टला नहीं है। कोरोना की जंग जीतने के लिए जनता को प्रशासन का सहयोग करना होगा और गाइडलाइन का पालन भी उतनी ही शिद्दत के साथ करना होगा। तभी बात बनेगी।