ग्वालियर चंबल डायरी
हरीश दुबे
निवास रावत के पंजा को छिड़ककर कमल का फूल थाम लेने पर राजनीतिक हलकों में तो हलचल मची ही, उनके चार दशक के राजनीतिक कैरियर पर करीबी से नजर रखने वाले भी हैरत में पड़ गए लेकिन सियासी गलियारों में इससे कहीं ज्यादा आश्चर्य मुरैना की नगरमाता के राजनीतिक ह्दय परिवर्तन से हुआ। वजह, यह कि चौबीस घंटे पहले तक वे मुरैना में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुभाषिणी यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर कांग्रेस का संकल्प पत्र दिखाते हुए राहुल गांधी की गारंटियों को गिना रही थीं, भाजपा की रीति नीतियों पर गुस्सा भी जताया लेकिन एक दिन के भीतर ही उन्हें कांग्रेस से अलगाव और भाजपा से लगाव हो गया। करीब पौने दो साल पहले कई निष्ठावान नेत्रियों को नजरंदाज कर उन्हें दिग्विजय के कोटे से मेयर का टिकट मिला था। अब उनके टिकट के लिए ऊपर तक सिफारिश करने वालों की खोजबीन शुरू हो गई है। वे अचानक भाजपा में जाने के लिए मजबूर क्यों हुईं, इसको लेकर तमाम कनबतियाँ गर्म हैं। उन पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र के जरिए चुनाव लड़ने का आरोप है और पराजित भाजपा प्रत्याशी ने कोर्ट में रिट लगा रखी है। फायनल सुनवाई हो चुकी है और 9 मई को इस मामले में फैसला आना है। लोग उनके अचानक उमड़े भाजपा प्रेम की कड़ियां जोड़ने में लगे हैं।
ग्वालियर नहीं आए कांग्रेस के शीर्ष नेता
ग्वालियर के कुछ कांग्रेस नेता अपनी ही पार्टी से नाराज हैं। वजह यह कि यहां प्रत्याशी को अकेले अपनी दम पर चुनाव लड़ने के लिए छोड़ दिया गया है। अभी तलक पार्टी के किसी भी बड़े नेता की यहां सभा नहीं हुई है। पांच की शाम को यहां चुनाव प्रचार थम जाएगा, इस तरह प्रचार के लिए बमुश्किल तीन दिन ही बचे हैं। इन आगामी तीन दिनों में अभी तक दिल्ली के किसी राष्ट्रीय कद के नेता का प्रोग्राम ग्वालियर कांग्रेस को नहीं मिला है जबकि भिंड सीट पर राहुल गांधी की सभा एक दिन पहले हो चुकी है और प्रियंका गांधी आज गुरुवार को सभा लेने मुरैना पहुंच रही हैं, फिर ग्वालियर के प्रति यह उदासीनता क्यों। हालाँकि कांग्रेस के उम्मीदवार प्रवीण पाठक अभी भी यह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के चुनाव प्रचार में कहीं से भी कमीपेशी नहीं है और ग्वालियर के पदाधिकारी और कार्यकर्ता घर घर तक पार्टी का पैगाम पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। कहने को कांग्रेस में राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसी अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे पवन खेड़ा और सुभाषिणी यादव ग्वालियर आए लेकिन होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर दूसरी मंजिल की तरफ तशरीफ़ ले गए जबकि यहाँ के चुनाव प्रबंधक उनकी सभाएं चाहते थे। जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की यहां सभाएं जरूर हो चुकी हैं।
कमल हासन को हराने वालीं नेत्री के लिए ढूंढने पड़े ट्रांसलेटर
कमल दल ने महिला मोर्चा की नेशनल प्रेसीडेंट वनाथी श्रीनिवासन को चंबल में चुनाव प्रचार के लिए भेजा है लेकिन भाषा आड़े आ गई। वे तमिल, तेलुगु और इंग्लिश ही जानती हैं, लिहाजा ग्वालियर से भिंड तक जहां-जहां उनकी सभाएं हुईं, उनके भाषण के अनुवाद के लिए अंग्रेजी जानने वालीं महिलाओं की ड्यूटी लगाना पड़ी। ग्वालियर में यह जिम्मेदारी मेयर काउंसिल की मेंबर रह चुकीं खुशबू गुप्ता ने सँभाली तो गोहद में जिला पंचायत की चेयरमेन कामना भदौरिया ने ट्रांसलेट किया। चंबल के पूरे दौरे में उनके साथ ट्रांसलेटर तैनात रहे जो उनकी बात को महिलाओं तक पहुंचा रहे थे। श्रीनिवासन का जब प्रोफ़ाइल खंगाला गया तो पता चला कि वे कमल हासन जैसे सुपरस्टार को कोयम्बटूर सीट पर चुनाव हराकर तमिलनाडु विधानसभा में पहुंची हैं और भाजपा के साउथ कैम्पेन का बड़ा चेहरा हैं।
वो जीतें तो इनके लिए रास्ता खाली हो
लोकसभा चुनाव के नतीजे चार जून को आएंगे लेकिन अर्से से राज्यसभा का सदस्य बनने की जोड़तोड़ में जुटे दोनों प्रमुख दलों के दावेदारों की हसरतें फिर परवान चढ़ रही हैं। राज्यसभा में जाने की ख्वाहिश पालने वाले नेता गुना में महाराज और राजगढ़ में राजा की जीत की कामना कर रहे हैं। ये दोनों नेता जीतते हैं तो ऊपरी सदन में दो सीटें खाली होंगी।
पूर्व मंत्राणी के ऑडियो पर बवाल
ग्वालियर और भिंड सीटों पर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात और कांग्रेस को सपोर्ट करने की डबरा की पूर्व मंत्राणी की कथित बातचीत के एक के बाद एक दो ऑडियो वायरल होने के बाद भोपाल से दिल्ली तक हड़कम्प मच गया। पूर्व मंत्राणी महाराज खेमे की हैं जबकि ग्वालियर और भिंड के प्रत्याशी नरेन्द्र सिंह के नजदीकी माने जाते हैं। इन ऑडियो को गुटबाजी से जोड़ा जाने लगा। बहरहाल, महाराज की फटकार के बाद मंत्राणी ने इन ऑडियो से पल्ला झाड़ लिया है।