हैदराबाद 28 दिसंबर (वार्ता) विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तेलंगाना प्रदेश इकाई ने शनिवार को मंदिर की जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया।
विहिप ने एक बयान में आरोप लगाया कि यह अक्षय ऊर्जा पहल की आड़ में मंदिर की जमीन हड़पने की एक चाल है और मांग की कि सरकार इस प्रस्ताव को तुरंत वापस ले, जो मंदिर की संपत्तियों के निजीकरण का नवीनतम प्रयास है।
बयान में कहा गया कि सरकार मंदिर की जमीन की केवल संरक्षक है, न कि इसकी मालिक और यह ऐसा तथ्य है जिसे अदालतों ने बार-बार बरकरार रखा है। धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने हालांकि मंदिर के मामलों को नियंत्रित करने के लिए अपनी शक्ति का लगातार दुरुपयोग किया है, जिसके कारण अरबों रुपये की मंदिर की संपत्ति का कुप्रबंधन और नुकसान हुआ है।
विहिप ने राज्य सरकार पर 1987 के अधिनियम का उपयोग करके मंदिर की संपत्तियों को सरकारी संपत्ति में बदलने और बाद में निजी व्यक्तियों को जमीन के विशाल हिस्से को बेचने का आरोप लगाया। विहिप ने कहा कि सरकार ने अपनी परियोजनाओं के लिए मंदिरों की भूमि पर भी अतिक्रमण किया है, जैसा कि हैदराबाद आउटर रिंग रोड के लिए हजारों एकड़ भूमि के अधिग्रहण से स्पष्ट है।
विहिप ने मंदिरों को शून्य बजट आवंटित करने और मंदिरों की आय पर 15 प्रतिशत कर लगाने के लिए सरकार की आलोचना की।
विहिप ने सरकार से सौर संयंत्र के प्रस्ताव को वापस लेने और मंदिर की संपत्तियों की स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी करने तथा ए. वेंकटरामरेड्डी आयोग की रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में रखे जाने की मांग की तथा चेतावनी दी कि यदि सरकार इन मांगों को पूरा करने में विफल रहती है तो प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया जायेगा।