लू से बचाव के लिए सावधानी बरतना जरूरी, दिशा-निर्देश जारी

नीमच। गर्मी का मौसम प्रारम्भ हो गया है, अधिक तापमान के बदलाव से लू लगने की संभावना होती है। इसके साथ-साथ खाद्य व पेय पदार्थों के दूषित होने की संभावनाऐं भी बढ़ जाती हैं। सीएमएचओ डॉ.एस.एस. बघेल ने बताया,कि लू(तापघात)से बचाव के लिए आमजन धूप व गर्मी से बचें। घर में हवादार, ठंडे स्थान पर रहें। बाहर जाना आवश्यक हो, तो सुबह व शाम के समय जाये। अत्याधिक शारीरिक श्रम वाली गतिविधियां अधिकतम तापमान वाले घंटों में न करें। सफेद व हल्के रंग के वस्त्रों का उपयोग करें, सिर को कपड़े या टोपी से ढक़ें। जूते-चप्पल तथा नजर के काले चश्में का प्रयोग करें। धूप में जाने से पहले भोजन व पर्याप्त पानी पियें। पेय पदार्थों(नान अल्कोहॉलिक)जैसे नींबू पानी, लस्सी, छांछ, जलजीरा, आमपना, दही, नारियल पानी आदि का सेवन करें। ताजा एवं स्वच्छ भोजन का सेवन करें।

शिशुओं तथा बच्चों, 65 वर्ष से अधिक आयु के महिला व पुरूष घर के बाहर काम करने वाले, मानसिक रोगियों तथा उच्च रक्तचाप वाले मरीजों का विशेष ध्यान रखें। बंद गाड़ी के अंदर का तापमान बाहर से अधिक होता है। अत: किसी को बंद पार्किंग में रखी गाड़ी में अकेला न छोड़ें। बहुत अधिक भीड़,गर्म,घुटन भरे कमरों,रेल,बस आदि में यात्रा गर्मी के मौसम में अत्यावश्यक होने पर ही करें। यदि किसी व्यक्ति को लू लगने का संदेह होता है, तो उसे तत्काल ठण्डे स्थान पर रखें। पानी, छांछ व अन्य तरल पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में ले। यदि आराम न लगे तो तुरंत निकट के अस्पताल में चिकित्सक को दिखाकर, उपचार लाभ लें।

लू से बचाव के लिए रखें सावधानी-जिले में गर्मी के मौसम में लू से बीमार होने की संभावना हो सकती हैं। ऐसे में हर नागरिक कि जिम्मेदारी है,कि वह अपने परिवार व स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए लू से से बचे।

लू के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है–गर्म लाल और सुखी आंखे होना, मतली या उल्टी आना, तेज सिरदर्द होना, मांश-पेशियो में कमजोरी व दर्द होना, साँस फूलना या दिल की धडक़न तेज होना, घबराहट, चक्कर आना या बेहोशी, शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होना। यदि इस प्रकार के लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सक को दिखाए और उचित उपचार लें।

लू से बचने के लिए यह सावधानिया रखें– धूप में जाते समय सफ़ेद या हल्के रंग के सूती वस्त्र पहने, पानी एवं पेय पदार्थ का अधिक सेवन करें। ठन्डे मौसमी फल खाए, बुजुर्गो का खास ध्यान रखें, सादा खाना और तरल पदार्थो का सेवन करें। गर्दन के पिछले भाग, कान और सिर को गमछे या तोलिये से ढक़ कर ही धूप में निकलें। रंगीन चश्मे व छतरी का उपयोग करें। तेज धूप के समय दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक हो सके, तो इनडोर रहें।

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